सार

तालिबान शासन में अफगानी महिलाओं और लड़कियों की स्थितियां बद्तर हो चुकी हैं। शिक्षा और रोजगार से उनको वंचित कर दिया गया है। महिलाएं और लड़कियां केवल पुरुषों के अधीन रह गई हैं। 
 

काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति बेहद बद्तर है। तालिबानी शासन (Taliban rule in Afghanistan) प्रभाव में आते ही बेटियों की स्कूली शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, तालिबान आमजन और अपने लिए दोहरी नीति अपना रहे। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन (Suhail Shaheen) ने स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध (Girls education ban in Taliban rule) के बावजूद उनकी बेटियां स्कूल जाती हैं। उन्होंने टीवी प्रस्तोता पियर्स मॉर्गन (Piers Morgan Talk show) के टॉक टीवी पर नए शो में यह खुलासा किया।

पीयर्स मॉर्गन अनसेंसर्ड (Piers Morgan uncensored) द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए शो की एक क्लिप के अनुसार, मॉर्गन ने तालिबान के प्रवक्ता से पूछा कि क्या उनकी बेटियों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति दी गई है। शाहीन ने कहा, "हाँ बिल्कु्ल। वे हिजाब का इस्तेमाल कर रहीं, और इसका मतलब है कि हमने अपने लोगों के लिए इनकार नहीं किया है।" मॉर्गन ने फिर कहा, "तो आपकी बेटियों को शिक्षा मिलती है क्योंकि वे वही करते हैं जो आप उन्हें बताते हैं।

 

तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर लगाया है प्रतिबंध

तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद ही लड़कियों की शिक्षा को प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि, बाद में नरम रूख अपनाते हुए और वैश्विक मंचों से यह बताने के लिए प्रारंभ में, स्कूल मार्च में खुलने के लिए निर्धारित थे। लेकिन ऐलान के बाद भी स्कूल खोले नहीं गए। 

अफगानिस्तान में बेहतर शासन का वादा लेकिन...

तालिबान ने कठोर इस्लामी शासन की बजाय इस बार सामान्य शासन का वादा किया था। 1996 से 2001 तक सत्ता में अपने पहले कार्यकाल में तालिबान ने काफी बर्बर तरीके से शासन किया था लेकिन इस बार वैश्विक समुदायों को वादा किया है कि लोगों के मानवाधिकारों की खूब रक्षा होगी। हालांकि, कहने को तो तालिबान ने कठोरता छोड़ दिया है लेकिन पिछली बार से कुछ अलग स्थितियां नहीं है। तालिबानी शासन में महिलाओं और लड़कियों की स्थितियां सबसे नारकीय हो चुकी हैं। हालांकि, शिक्षा और रोजगार में लड़कियों व महिलाओं को बैन लगाने के बाद कुछ जगहों पर महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किए लेकिन तालिबान की बर्बरता की वजह से ऐसे विरोध दबा दिए गए। 

Suhail Shaheen हो रहा खूब ट्रोल

सोशल मीडिया यूजर्स ने क्लिप पर प्रतिक्रिया देते हुए सुहैल शाहीन को पाखंडी बताया है। एक ट्विटर यूजर ने कहा, 'इस आदमी की बेटियां हिजाब पहनती हैं और शिक्षा प्राप्त करती हैं। इस शख्स की एक बेटी कतरी फुटबॉल टीम में खेलती है। इस शख्स की एक बेटी का कतरी बॉयफ्रेंड है। अफगान लड़कियां हिजाब का पालन करती हैं लेकिन छठी कक्षा के बाद शिक्षा से वंचित हैं और वे खेल नहीं खेल सकतीं। एक और जोड़ा, “पाखंड! तालिबान अपने बच्चों को स्कूल जाने और दूसरों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है।

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