रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए एक महीना से अधिक समय होने को है। रूस के हमले के बाद यूक्रेन के शहरों में सिर्फ तबाही और पलायन ही दिख रही। लाशों के ढेर और इमारतों के मलबे यह संदेश दे रहे कि युद्ध से किसी का भला नहीं होता।
जिनेवा। रूस यूक्रेन युद्ध (Rusia-Ukraine War) में तबाही की कहानियां लिखी जा रही है। कई बड़े शहर तबाह हो चुके हैं। काफी संख्या में लोग मौत की नींद सुला दिए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (United Nations Human Rights Office) ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन में एक महीने के युद्ध में कम से कम 1,035 लोग मारे गए हैं और 1,650 घायल हुए हैं।
मौत की आगोश में सोने वालों में बच्चे भी
दोनों देशों के युद्ध में मारे गए लोगों में बच्चों की तादाद भी काफी है। करीब 90 बच्चे इस हमले में मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने बयान में कहा, माना जाता है कि दक्षिणी घेरे वाले शहर मारियुपोल सहित तीव्र शत्रुता वाले क्षेत्रों से रिपोर्टिंग में देरी के कारण सही आंकड़े बदल सकते हैं।
साढ़े सात मिलियन लोग हुए बेघर
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने एक अलग बयान में कहा कि 4.3 मिलियन बच्चे बेघर हो चुके हैं। अपने ही घर में शरणार्थी की तरह इधर-उधर भटकने वालों 18 साल से कम उम्र वालों की संख्या पूरे यूक्रेन में कुल 7.5 मिलियन के आधा है। इनमें से 1.8 मिलियन से अधिक विदेश भाग गए हैं।
यूक्रेन लड़ाई को जारी रखने के लिए पश्चिम पर निर्भर
दरअसल, यूक्रेन को रूस से युद्ध जारी रखने के लिए पश्चिम देशों या यूं कहें तो नाटो देशों में निर्भर रहना है। नाटो देश सीमित मात्रा में हथियारों की सप्लाई दे रहे हैं। राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन में हथियारों की पर्याप्त आपूर्ति के लिए गुरुवार को नाटो शिखर सम्मेलन में दबाव बनाया। ज़ेलेंस्की ने आपातकालीन नाटो शिखर सम्मेलन और जी 7 नेताओं की मीटिंग को वीडियो लिंक से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम को रूसी हमलों से, रूसी कब्जे से यूक्रेनियाई लोगों की मौत को रोकने के लिए हमें सभी आवश्यक हथियार प्रदान करने चाहिए।
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