US to leave UNESCO 2026: अमेरिका ने यूनेस्को से फिर हटने की घोषणा की है। इसका कारण फिलीस्तीन को सदस्य बनाए जाना और यूनेस्को पर इज़राइल विरोधी रुख अपनाने का आरोप बताया गया है।
US to leave UNESCO 2026: यूनेस्को की सदस्यता को अमेरिका ने छोड़ने का ऐलान किया है। अमेरिका पहले भी ऐसा कर चुका है। संयुक्त राष्ट्र की शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संस्था यानी यूनेस्को (UNESCO) से हटने का उसका फैसला फिलिस्तीन को सदस्य बनाए जाने के बाद लिया है। यह फैसला दिसंबर 2026 से प्रभावी होगा। अमेरिका का कहना है कि यूनेस्को उसके राष्ट्रीय हितों (national interest) के अनुकूल नहीं है और यह संस्था इज़राइल विरोधी एजेंडा को बढ़ावा देती है।
फिलीस्तीन को सदस्य बनाए जाने पर जताई आपत्ति
यूएस विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि यूनेस्को का विभाजनकारी सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों को बढ़ावा देना अमेरिका के फैसले की मुख्य वजह है। उन्होंने कहा कि फिलीस्तीन को पूर्ण सदस्य बनाए जाने से यूनेस्को में इज़राइल विरोधी बयानबाज़ी को बढ़ावा मिला है जो अमेरिका की विदेश नीति के खिलाफ है।
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यूनेस्को प्रमुख ने फैसले पर जताया खेद
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ोले ने अमेरिका के इस कदम पर गहरा खेद जताया लेकिन कहा कि यह अपेक्षित था और संगठन इसके लिए पहले से तैयार था। उन्होंने यूनेस्को पर लगे इज़राइल विरोधी पूर्वाग्रह के आरोपों को खारिज किया और कहा कि संस्था होलोकॉस्ट एजुकेशन और यहूदी विरोध के खिलाफ लड़ाई जैसे कामों में सक्रिय है।
तीसरी बार यूनेस्को से हटेगा अमेरिका
यह तीसरा मौका होगा जब अमेरिका यूनेस्को से बाहर निकलेगा। इससे पहले 1984 में रोनाल्ड रीगन प्रशासन में यूनेस्को छोड़ने का फैसला हुआ था। रीगन प्रशासन ने यूनेस्को पर भ्रष्टाचार और सोवियत संघ का पक्ष लेने का आरोप लगाकर सदस्यता छोड़ी थी और 2003 में जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के कार्यकाल में फिर से जुड़ा था। लेकिन फिर 2018 में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने यूनेस्को से अलग होने का ऐलान किया था। 2023 में बिडेन प्रशासन के तहत अमेरिका ने यूनेस्को में वापसी की थी। अब एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूनेस्को से अलग होने का फैसला किया है।
राजनीतिक और आर्थिक असर
यूनेस्को में अमेरिका की हिस्सेदारी 8% रही है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में फंडिंग के स्रोतों में विविधता लाने के कारण संस्था इस नुकसान से निपटने में सक्षम है। अज़ोले ने कहा कि कर्मचारियों की छंटनी की योजना नहीं है और यूनेस्को अपने वैश्विक मिशन को जारी रखेगा।
यूनेस्को ने कहा कि वह अमेरिका के निजी क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थानों और गैर-लाभकारी संगठनों के साथ सहयोग जारी रखेगा। अज़ोले ने कहा कि यूनेस्को सभी देशों के लिए खुला मंच है, अमेरिका का स्वागत हमेशा रहेगा।
