अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तेज गति से चल रहा है। अगस्त, 2020 से अब तक मंदिर की मजबूत नींव का काम पूरा हो चुका है। दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह बनकर तैयार हो जाएगा और तीर्थयात्री रामलला के दर्शन कर सकेंगे।
5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने श्रीराम जन्मभूमि का भूमि पूजन किया था। तब से अब तक करीब 2.77 एकड़ में नींव खुदाई और फाउंडेशन का काम पूरा किया जा चुका है।
अयोध्या को देश की सुंदरतम नगरी के रूप में जानी जाए इसको लेकर हर संभव प्रयास किया जा रहा है। विकास को लेकर हो रही निर्माण में कई अतिथि गृह भी बनाए जाएंगे। वहीं 40 हजार श्रद्धालुओं के लिए गेस्ट हाउस भी बनाया जाएगा।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का जायजा लेने पहली बार लार्सन एंड टूब्रो के प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रमण्यन पहली बार प्राइवेट हेलीकॉप्टर से पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया के सुंदर मंदिरों में राम मंदिर एक मिसाल बन सके।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू शुक्रवार को अयोध्या पहुंचे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण कार्य की प्रगति को लेकर प्रजेंटेशन भी देखा। इस दौरान उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी वहां मौजूद रहें।
राममंदिर के निर्माण के लिए पत्थर तो परिसर पहुंच रहे है लेकिन इसके साथ साथ परिसर को तांबे से जोड़ा जाएगा। जिसके लिए करीब 27 टन कॉपर की प्लेट मंदिर पहुंच गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि परिसर की फर्श को पूरी तरह से जून तक तैयार कर दिया जाएगा।
मंदिर का निर्माण शुरू होने पर काम बीच में रुके नहीं इसलिए राजस्थान की चार कार्यशालाओं में पत्थर तराशने का काम चल रहा है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक राजस्थान में मकराना मार्बल की एक कार्यशाला और तीन कार्यशाला पिंक सैंड स्टोन की है। जिसमें से दो कार्यशाला सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा और एक आबूरोड में काम चल रहा है।
कुशीनगर में जेपी नड्डा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री जी ने गरीबों के लिए जनधन खाते खोले तब विपक्षी मजाक बना रहे थे। चांदी की चम्मच के साथ पैदा हुए अखिलेश जी को गरीब के बैंक खाते से क्या मतलब? इनका खाता यहां थोड़े ही है, इनका खाता तो कहीं और ही है।
राम मंदिर के आर्किटेक्ट और मेंसर्स सोमपुरा कंस्ट्रक्शन कंपनी के निदेशक निखिल सोमपुरा ने बताया पहले का राम मंदिर मॉडल (Ram mandir) और बाद का विस्तारित मॉडल दोनों ही उन्होंने बनाया है। अब तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नए मॉडल का विस्तार किया गया है।
अयोध्या विधानसभा सीट पर राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अयोध्या का फर्क यहां अन्य सीटों पर भी पड़ता है। राजनीतिक दलों का प्रयास रहता है कि वह यहां सशक्त कैंडिडेंट उतारें। 1992 के बाद से ही अयोध्या सीट पर बीजेपी से ही अन्य दलों की लड़ाई होती चली आ रही है।