Shani Amavasya 2022: इस बार 27 अगस्त को शनिश्चरी अमावस्या रहेगी। इस दिन शनिदेव की पूजा और उपाय करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी साथ ही हर तरह की परेशानियों से भी आप बचे रह सकते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 मई, सोमवार को है। मान्यता है कि इसी तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था।
आज यानी 12 फरवरी, शनिवार को माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे जया, अजा और भीष्म एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 29 जनवरी, शनिवार को है।
4 दिसंबर, शनिवार को अमावस्या तिथि होने से शनिश्चरी अमावस्या का योग इस दिन बन रहा है। शनि को न्याय का देवता माना जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि साढ़ेसाती में अच्छे-बुरे कर्मों का फल मिलता है। इसलिए शनि को प्रसन्न करना जरूरी है।
इस बार 4 सितंबर, शनिवार को बहुत ही शुभ योग बन रहा है। इस शुभ योग में शनिदेव (Shani dev) की पूजा और उपाय करने से आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं साथ ही साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है।
शनि जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 10 जून, गुरुवार को है।
यदि शनिदेव की पूजा विधि-विधान से की जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है। वैसे तो शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अनेक स्त्रोत व मंत्रों की रचना की गई है। उन सभी में शनि अष्टोत्तर शतनामावली का विशेष महत्व है।
इस बार 12 दिसंबर, शनिवार को शनि प्रदोष का योग बन रहा है। इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष फल मिलता है।
शनिदेव मनुष्य को उसके हर अच्छे-बुरे कर्मों का फल देते हैं, इसलिए उन्हें न्यायाधीश कहा जाता है। शनिवार को शनिदेव की पूजा करने के बाद अगर तिल के तेल से आरती की जाए तो शनिदेव प्रसन्न होते हैं।