प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 19 मई, गुरुवार को है। इस बार ज्येष्ठ मास की चतुर्थी होने से ये संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) व्रत कहलाएगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। इस तरह एक साल में 24 चतुर्थी तिथि होती है। लेकिन इन सभी में 4 चतुर्थी को बहुत ही विशेष माना गया है। इन्हें बड़ी चतुर्थी भी कहते हैं।
हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य कहा गया है। यानी सभी शुभ कार्यों से पहले उनकी पूजा की जाती है। हर महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये तिथि 24 सितंबर, शुक्रवार को है। इसे विघ्नराज चतुर्थी भी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान श्रीगणेश हैं। इसलिए इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीगणेश की ही पूजा की जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी होती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार यह व्रत 27 जून, रविवार को है।
शुक्रवार को सूर्योदय उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जो दोपहर 02.18 तक रहेगा। इसके बाद श्रवण नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से आनंद नाम का शुभ योग और श्रवण नक्षत्र होने से धूम्र नाम का अशुभ योग बनेगा।
15 अगस्त को भाद्रमास मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन बहुला चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। सोमवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र होने से गद नाम का शुभ योग बनेगा। साथ ही इस दिन धृति और गजकेसरी नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे।
19 मई 2022, दिन गुरुवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन संकष्ठी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाएगा।
Aaj Ka Panchang: 11 दिसंबर 2022, रविवार को पहले पुनर्वसु नक्षत्र होने से ध्वजा और पुष्य नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम के 2 शुभ योग इस दिन बनेंगे। इनके अलावा सर्वार्थसिद्धि, रवि पुष्य, ब्रह्म और इंद्र नाम के 4 अन्य शुभ योग भी इस दिन बनेंगे।
Sankashti Chaturthi 2022:हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम से पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा जरूर की जाती है। श्रीगणेश की कृपा पाने के लिए कई व्रत और उत्सवों का भी विधान बनाया गया है। इनमें से कुछ व्रत हर महीने में किए जाते हैं।