सार
Ahoi Ashtami 2022: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 17 अक्टूबर, सोमवार को है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की उम्र लंबी होती है और सेहत भी ठीक रहती है।
उज्जैन. महिलाएं अपने बच्चों की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए कई व्रत करती हैं, अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2022) भी इनमें से एक है। ये व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस बार ये व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को किया जाएगा। जिन महिलाओं की कोई बच्चे नहीं हैं वे भी ये व्रत योग्य संतान की इच्छा से करती हैं। वैसे तो ये व्रत पूरे देश में किया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से उत्तर भारत में इसकी विशेष मान्यता है। आगे जानिए कौन हैं अहोई माता और इनकी आरती…
कौन हैं अहोई माता? (Who is Ahoi Mata)
अहोई का अर्थ है अनहोनी को भी बदल डालना। अहोई माता की पूजा इसलिए की जाती है कि जीवन में होने वाली अनहोनी घटनाओं को बदला जा सके। अहोई माता की प्रतिकृति गोबर से घर की दीवार पर बनाई जाती है। हालांकि बाजार में कागज पर बनी अहोई माता की प्रतिकृति आसानी से मिल जाती है। इस प्रतिकृति में आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के पास साही तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं।
अहोई माता की आरती (Ahoi Mata ki Aarti)
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता।।
जय अहोई माता।।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता।।
जय अहोई माता।।
माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता।।
जय अहोई माता।।
तू ही पाताल बसंती,तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता।।
जय अहोई माता।।
जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता।।
जय अहोई माता।।
तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।।
जय अहोई माता।।
शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।।
जय अहोई माता।।
श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।
जय अहोई माता।।
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