सार

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी (Amla navami 2021) का पर्व मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। इस बार ये तिथि 13 नवंबर, शनिवार को है। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने और उसके नीचे बैठकर भोजन करने की परंपरा है।
 

उज्जैन. आयुर्वेद के अनुसार, आंवला में औषधीय गुण पाए जाते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। इसी के साथ आंवले के वृक्ष का धार्मिक महत्व भी माना गया है। और भी कई परंपराएं इस व्रत से जुड़ी हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत की कथा देवी लक्ष्मी से जुड़ी है। आगे जानिए इस तिथि का महत्व और पूजन विधि…

आंवला नवमी का महत्व
पूरे कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है लेकिन मान्यता है कि आंवला नवमी पर पर स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि आंवले के वृक्ष की जड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। आंवला नवमी पर अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि व शांति का कामना के लिए आंवला वृक्ष का पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन त्रेतायुग का आरंभ हुआ था।

इस विधि से करें पूजा 
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। आंवले के पेड़ की पूजा कर उसकी परिक्रमा करें। आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की हल्दी, कुमकम, फल-फूल आदि से विधिवत पूजा करें।
- आंवला वृक्ष की जड़ में जल और कच्चा दूध अर्पित करें। आंवले के पेड़ के तने में कच्चा सूत या मौली लपेटते हुए आठ बार परिक्रमा करें। इसके बाद पूजा करने के बाद कथा पढ़े या श्रवण (सुने) करें।
- पूजन करने के साथ ही इस दिन इस दिन परिवार के सदस्यों के साथ आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए। इस परिक्रमा में 8 या 108 चीज चढ़ाएं।
- महिलाएं बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, सिंदूर आदि आंवला के पेड़ पर चढ़ाएं। इस दिन ब्राह्मण महिला को सुहाग का समान, खाने की चीज और पैसे दान में देना अच्छा मानते हैं।

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