सार

हमारे देश में एक के बढ़कर एक कई विशाल और प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया का सबसे विशाल मंदिर भारत में नहीं बल्कि किसी दूसरे देश में है। ये मंदिर अपनी प्राचीनता के साथ-साथ वास्तु शैली के लिए भी प्रसिद्ध है।
 

उज्जैन. दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर कंबोडिया (Cambodia) में है। इसे अंकोरवाट (Angkor Wat Temple) के नाम जाना जाता है। यह मंदिर अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में यशोधरपुर कहा जाता था। यह विशाल भव्य मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिसका निर्माण कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय ने 12वीं सदी में कराया था। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

ये हैं 10 रोचक बातें...

1. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर के चारों ओर एक गहरी खाई है, जिसकी लंबाई ढाई मील और चौड़ाई 650 फुट है। इस खाई को पार करने के लिए एक पत्थर का पुल बनाया गया है। 
2. अंकोरवाट मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। इस प्राचीन मंदिर की दीवारों पर भारतीय हिंदू धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का विस्तार से चित्रण किया गया है। इसमें असुरों और देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन का दृश्य भी दिखाया गया है। 
3. यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है, जिसमें तीन खंड हैं। इन तीनों खंडों में सुंदर मूर्तियां बनाई गई हैं और प्रत्येक खंड से ऊपर के खंड तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई हैं। प्रत्येक खंड में आठ गुंबज हैं और ये सभी गुंबज 180 फुट ऊंचे हैं। मुख्य मंदिर तीसरे खंड की छत पर स्थित है। 
4. इस मंदिर की विशालता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार बनाया गया है जो लगभग 1000 फुट चौड़ा है। मंदिर साढ़े तीन किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ है। इस दीवार के बाद 700 फुट चौड़ी खाई है, जिस पर एक जगह 36 फुट चौड़ा पुल है। इस पुल से मंदिर के पहले खंड द्वार तक पहुंचा जा सकता है।
5. ये मंदिर करीब 162.6 हेक्टेयर में फैला है। इसे मूल रूप से खमेर साम्राज्य में भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इस मंदिर के पास से मीकांग नदी बहती है। 
6. अंकोर क्षेत्र में करीब 1000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं। इनमें से कई मन्दिरों का पुनर्निर्माण हुआ है। अंकोरवाट मंदिर तथा अंकोरथोम सहित पूरे क्षेत्र को यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
7. यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में बदल गया।
8. यह मंदिर लम्बे समय तक गुमनाम रहा। 19वीं शताब्दी के मध्य में एक फ्रांसीसी पुरातत्वविद हेनरी महोत के कारण अंकोरवाट मंदिर फिर से अस्तित्व में आया। 
9. वर्ष 1986 से लेकर वर्ष 1993 तक भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस मंदिर के संरक्षण का जिम्मा संभाला था।
10. फ्रांस से आजादी मिलने के बाद अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया देश का प्रतीक बन गया। राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को 1983 से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है।

कैसे पहुंचे?
कंबोडिया जाने के दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु से फ्लाइट मिल जाती है। वीजा की बात करें तो यहां ऑन अराइवल वीजा मिल जाएगा। इसके अलावा ई वीजा भी ले सकते हैं। भारत से जाने वाली फ्लाइट्स कंबोडिया के फनोम पेन्ह इंटरनेशनल एयरपोर्ट और सीएम रेअप इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड करती हैं। एयरपोर्ट से अंगकोरवाट तक जाने के लिए बस और कैब मिलती हैं।

 

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