सार

हमारे विद्वानों ने पुस्तकों को मनुष्य का सच्चा मित्र बताया है, क्योंकि कई बार जब हमारे जीवन में विपरीत परिस्थितियां आती हैं तो पुस्तकें ही हमें सही रास्ता दिखाती हैं।

उज्जैन. पुस्तकों में ज्ञान का अथाह सागर छिपा है। इस ज्ञान को पाकर ही हम अपने जीवन में सफलता की ऊचाइयों की छू सकते हैं। सुभाषितानी के एक श्लोक में बताया गया है पुस्तकों को किन चीजों से बचाकर रखना चाहिए...

श्लोक
तैलाद् रक्षेत् जलाद् रक्षेत् रक्षेत् शिथिल बंधनात्।
मूर्ख हस्ते न दातव्यं एवं वदति पुस्तकम्॥

अर्थ- पुस्तक कहती है कि मेरी तेल से रक्षा करो, मेरी जल से रक्षा करो, मेरी शिथिल बंधन से रक्षा करो और मुझे कभी किसी मूर्ख के हाथों में मत सौंपो।

इनसे क्यों बचाकर रखना चाहिए किताबों को, जानिए...
1.
पुस्तक यानी किताब की तेल से रक्षा करनी चाहिए क्योंकि तेल पुस्तक में दाग छोड़ देता है। जिस स्थान पर किताब में दाग हो जाता है, वहां के अक्षरों को ठीक से नहीं पढ़ा जा सकता।
2. पानी से भी किताब को बचा कर रखना चाहिए क्योंकि पानी किताब को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।
3. पुस्तक कहती है कि मेरी शिथिल यानी ढीले बंधनों से मेरी रक्षा करो क्योंकि ठीक से बंधे न होने के कारण किताब के पेज बिखर जाते हैं।
4. किताब कहती है कि मुझे किसी मूर्ख के हाथ में मत सौंपो क्योंकि मूर्ख व्यक्ति उस किताब का सदुपयोग नहीं कर पाएगा। इस तरह वह किताब नष्ट हो जाएगी।