सार
25 मार्च, बुधवार को नव संवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 2 अप्रैल, गुरुवार को होगा। इस दौरान वसंत ऋतु होने के कारण इसे वासंती नवरात्र भी कहा जाता है।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस बार कोई भी तिथि क्षय नहीं होगी, जिससे यह नवरात्रि पूरे 9 दिनों की रहेगी, जो शुभ फल देने वाली रहेगी।
चैत्र नवरात्र का महत्व
मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का प्राकट्य हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इसके अलावा भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था।
किस दिन कौन-सी तिथि
- 25 मार्च, बुधवार से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होगी। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए।
- 26 मार्च, गुरुवार को चैत्र नवरात्रि की द्वितिया तिथि रहेगी। इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है।
- नवरात्रि की तृतीया तिथि पर देवी चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए। ये तिथि इस बार 27 मार्च, शुक्रवार को है।
- 28 मार्च, शनिवार को चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है।
- चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं। ये तिथि इस बार 29 मार्च, रविवार को है।
- 30 मार्च, सोमवार को चैत्र नवरात्रि की षष्ठी तिथि है। इस दिन देवी कात्यायानी की पूजा करनी चाहिए।
- 31 मार्च, मंगलवार को चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर देवी कालरात्रि की पूजा करें।
- चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 1 अप्रैल, बुधवार को है। इस दिन देवी महागौरी की आराधना करनी चाहिए।
- 2 अप्रैल, गुरुवार को चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है।