सार

आचार्य चाणक्य ने जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के सूत्र बताने वाले नीति शास्त्र की रचना की थी। चाणक्य नीति की बातों को अपनाने पर हमें हर काम में सफलता मिल सकती है।

उज्जैन. अगर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो दैनिक जीवन की कई समस्याएं स्वयं भी खत्म हो सकती हैं। आचार्य चाणक्य ने जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के सूत्र बताने वाले नीति शास्त्र की रचना की थी। चाणक्य नीति की बातों को अपनाने पर हमें हर काम में सफलता मिल सकती है। यहां जानिए एक ऐसी ही नीति...

मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्य यत्र सुसंचितम्।
दंपतो: कलहो नास्ति तत्र श्री: स्वयमागता।।

ये चाणक्य नीति ग्रंथ के तीसरे अध्याय का 21वां श्लोक है।

1. इस नीति में चाणक्य कहते हैं कि जहां मूर्खों की पूजा नहीं होती है, सिर्फ ज्ञानियों का सम्मान होता है। बुद्धिमान लोगों की बातों पर अमल किया जाता है, वहां सुख-शांति बनी रहती है। बुद्धिमान लोगों की संगत करने पर हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं।
2. जिन घरों में धन-धान्य पर्याप्त मात्रा में संग्रहित रहते हैं, अन्न का एक दाना भी व्यर्थ नहीं फेंका जाता, वहां अन्न की कमी नहीं होती है। जिस घर में पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद नहीं होते हैं, सभी प्रेम से रहते हैं, वहां सुख-शांति बनी रहती है।
3. जो लोग मूर्खों की सेवा करते हैं, जहां धन-धान्य का अपमान किया जाता है, संग्रहण नहीं किया जाता, जिस घर में पति-पत्नी सदैव लड़ते रहते हैं, जहां कलह होता है, वहां कभी भी सुख-शांति का वास नहीं हो सकता है। इसीलिए मूर्ख लोगों की संगत से बचें, थाली में खाना न छोड़ें, परिवार में प्रेम से रहें।