सार

हिंदू धर्म में आषाढ़ शुक्ल एकादशी (Devshayani Ekadashi 2022) से कार्तिक शुक्ल एकादशी (Devprabodhini Ekadashi 2022) तक के समय को चातुर्मास (Chaturmas 2022) कहा जाता है। ये 4 महीने धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माने गए गए हैं।

उज्जैन. मान्यता है चातुर्मास के 4 महीनों में भगवान विष्णु, शिवजी को सृष्टि का भार सौंपकर योगनिद्रा में चले जाते हैं। चातुर्मास के 4 महीनों में भगवान शिव ही सृष्टि का संचालन करते हैं। इन 4 महीनों में विवाद आदि शुभ कार्यों पर रोक रहती है। इस बार चातुर्मास का आरंभ 10 जुलाई, रविवार से हो रहा है, जो 4 नवंबर तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में चातुर्मास को लेकर कई नियम भी बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। जो लोग इन नियमों का पालन नहीं करते उनके घर में दुख और दरिद्रता बनी रहती है। आगे जानिए चातुर्मास से जुड़े इन नियमों के बारे में…

दिन में 1 समय करें भोजन
धर्म ग्रंथों के अनुसार चातुर्मास में सिर्फ एक समय ही भोजन करना चाहिए, क्योंकि वर्षाकाल के दौरान हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। अधिक भोजन करने से शरीर उसे पचा नहीं पाता और पेट से संबंधित बीमारियां हमें परेशान कर सकती है। इस वजह से हमें डॉक्टरी परामर्श के लिए पैसा खर्च करना पड़ सकता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि जो चातुर्मास के नियमों का पालन नहीं करता, उसके घर में गरीबी बनी रहती है।

न खाएं हरी सब्जियां
चातुर्मास में हरी सब्जियां और दूध-दही खाने की भी मनाही है। इसका कारण है कि वर्षाकाल के दौरान बैक्टीरिया और वायरस के कारण हरी सब्जियों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है। जब हम हरी सब्जियां खाते हैं तो ये सूक्ष्म जीव हमारे इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करते हैं। और जब दुधारू पशु हरा चारा आदि खाते हैं तो उसका प्रभाव उनके दूध में भी आ जाता है। इसलिए चातुर्मास में हरी सब्जियां और दूध आदि खाने से बचना चाहिए। 

तामसिक भोजन से भी बचें
चातुर्मास के दौरान तामसिक भोजन जैसे मांस, लहसुन, प्याज और अदरक आदि चीजें भी नहीं खानी चाहिए। इससे शरीर में रोग उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। तामसिक चीजें खाने से मन-मस्तिष्क में बुरे विचार आते हैं जो ठीक नहीं होते क्योंकि चातुर्मास में संयम का विशेष महत्व है। साथ ही इन चार महीनों में नशीली चीजों जैसे शराब, सिगरटे और तंबाकू आदि भी दूर रहना चाहिए।

चातुर्मास में कर सकते हैं ये काम
1.
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चातुर्मास में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप और ध्यान करना चाहिए। साथ ही धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी करना चाहिए।
2. चातुर्मास के 4 महीनों में जरूरतमंदों की मदद करना भी बहुत शुभ माना गया है। इस दौरान धन, अनाज, वस्त्र, जूते-चप्पल और छाते का दान करना चाहिए।
3. चातुर्मास में गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। मछलियों के लिए तालाब में आटे की गोलियां बनाकर डालें।
4. चातुर्मास में पंचदेवों की पूजा करनी चाहिए। ये पंच देव हैं- सूर्य, भगवान विष्णु, शिवजी, श्रीगणेश और देवी पार्वती। 

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