सार
11 मार्च, बुधवार को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि है। इस दिन यमराज के सहायक चित्रगुप्त की पूजा होती है।
चित्रगुप्त मनुष्य के हर अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब अपनी किताब में लिखते हैं। इस अवसर पर हम आपको यमराज व चित्रगुप्त से संबंधित कुछ खास बातें बता रहे हैं, जो गरुड़ पुराण में लिखी है-
श्रवण नाम के गण रहते हैं हमारे आस-पास
- गरुड़ पुराण के अनुसार, हर मनुष्य के आस-पास श्रवण नामक गण रहते हैं। ये किसी को दिखाई नहीं देते। श्रवण नामक देवता ब्रह्माजी के पुत्र हैं। ये स्वर्गलोक, मृत्युलोक, पाताललोक आदि में भ्रमण करते हैं और मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों को देखते हैं।
- जब यमदूत किसी आत्मा को यमलोक ले जाते हैं तो सबसे पहले वे यमपुरी के द्वार पर स्थित द्वारपाल को इसकी सूचना देते हैं। द्वारपाल चित्रगुप्त को बताते हैं और चित्रगुप्त जाकर यमराज को कहते हैं।
- तब यमराज चित्रगुप्त से उस पापात्मा के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब पूछते हैं। तब चित्रगुप्त श्रवण नाम के गणों से उस पापात्मा के विषय में जानकारी लेते हैं। श्रवण नामक देवता ब्रह्माजी के पुत्र हैं। ये स्वर्गलोक, मृत्युलोक, पाताललोक आदि में भ्रमण करते हैं और मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों को देखते हैं।
- श्रवण नामक देवता दूर स्थित वस्तुओं को भी प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं व सुन सकते हैं, इसलिए इनका नाम श्रवण रखा गया है। इनकी स्त्रियां भी श्रवणी नाम से प्रसिद्ध हैं। ये स्त्रियां भी महिलाओं के चरित्रों को अच्छी तरह से जानती हैं।
- इस संसार में जो प्राणी अच्छे या बुरे कर्म सबके सामने या गुप्त रूप से करते हैं, उसको श्रवण नाम के देवगण चित्रगुप्त से कहते हैं और स्त्रियों के चरित्र को श्रवणगण की श्रवणी नामक स्त्रियां चित्रगुप्त से कहती हैं।
- श्रवण व श्रवणी ये सब धर्मराज के दूत हैं। ये प्राणियों के मन और वचन से किए गए अच्छे-बुरे कर्मों को जानते हैं। मनुष्य और देवताओं के तत्व को जानने की श्रवण देवताओं की शक्ति है। वह सत्यवादी श्रवण मनुष्यमात्र के किए हुए सभी कार्यों को चित्रगुप्त को बतलाते हैं।
- व्रत, दान, सत्यपालन आदि से कोई भी पुरूष श्रवण को प्रसन्न करे तो श्रवण गण उस मनुष्य को स्वर्ग तथा मोक्ष देने वाले हो जाते हैं। सत्य बोलने वाले धर्मराज के श्रवण पापी पुरुषों के पाप को जानकर यमराज से कह देते हैं, उन पर विचार करने के बाद ही यमराज पापियों को दंड देते हैं।