सार
Devuthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में अनेक मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। ऐसी ही एक परंपरा है तुलसी विवाह। इस परंपरा के अंतर्गत देवउठनी एकादशी पर तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम शिला से करवाया जाता है। शालिग्राम शिला को भगवान विष्णु का रूप मानते हैं।
उज्जैन. हिंदू धर्म में शालिग्राम को बहुत ही पवित्र और भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। शालिग्राम शिला को भगवान विष्णु की स्वरूप माना जाता है। देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2022) पर तुलसी के पौधे से शालिग्राम शिला की पूजा की जाती है। इस बार देवउठनी एकादशी 4 नवंबर, शुक्रवार को है। शालिग्राम शिला (What is Shaligram Shila) से जुड़ी और भी कई मान्यताएं हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जिस घर में शालिग्राम शिला होती है वहां धन-धान्य की कमी नहीं होती। आगे जानिए शालिग्राम शिला से जुड़ी खास बातें…
कहां मिलती है शालिग्राम शिला? (Where is Shaligram Shila found?)
शालिग्राम शिला नेपाल की गंडकी नदी में मिलती है। इस शिला पर कीडों द्वारा काटने के निशान होते हैं। ये निशान सुदर्शन चक्र की तरह दिखाई देते हैं। इन्हें ही साक्षात भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, शालिग्राम शिला की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती, इन्हें सीधे मंदिर में स्थापित किया जा सकता है।
तुलसी-शालिग्राम विवाह से मिलता है कन्या दान का पुण्य
भगवान् शालिग्राम की पूजा तुलसी के बिना पूरी नहीं होती है और तुलसी अर्पित करने पर वे तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर शालिग्राम और तुलसी का विवाह करने से सारे अभाव, कलह, पाप, दुःख और रोग दूर हो जाते हैं। तुलसी और शालिग्राम शिला का विवाह करवाने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है जो कन्यादान करने से मिलता है।
शालिग्राम की पूजा से दूर होते हैं हर दोष
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जिस घर में शालिग्राम शिला की पूजा की जाती है, वहां सभी तरह के दोष जैसे वास्तु दोष, पितृ दोष, ग्रह दोष सभी दूर हो जाते हैं। उस घर में सदैव महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और निगेटिविटी दूर रहती है। विष्णु पुराण के अनुसार, जिस घर में भगवान शालिग्राम हो, वह घर तीर्थ के समान होता है।
रोज करें भगवान शालिग्राम की पूजा
घर में स्थापित भगवान शालिग्राम की पूजा रोज करनी चाहिए। इस पर चंदन से श्रृंगार जरूर करना चाहिए और शुद्ध घी का दीपक लगाना चाहिए। जो व्यक्ति शालिग्राम पर रोज जल चढ़ाता है, वह अक्षय पुण्य प्राप्त करता है। शालिग्राम को अर्पित किया हुआ पंचामृत प्रसाद के रूप में सेवन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
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