सार
धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा दीपावली (Diwali 2021) पर की जाती है। इस दिन प्रमुख लक्ष्मी मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ती है। वैसे तो हमारे देश में देवी लक्ष्मी के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इनमें कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple, Kolhapur) बहुत ही खास है।
उज्जैन. मुंबई से लगभग 400 किमी. दूर कोल्हापुर महाराष्ट्र का एक जिला है, जहां धन की देवी लक्ष्मी का एक सुंदर मंदिर है। यहां पर देवी लक्ष्मी को अम्बा जी के नाम पुकारा जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक, कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple, Kolhapur) में कोंकण के राजाओं, चालुक्य राजाओं, शिवाजी और उनकी मां जीजाबाई तक ने चढ़ावा चढ़ाया है। कुछ साल पहले जब इस मंदिर के खजाने को खोला गया तो यहां सोने, चांदी और हीरों के ऐसे आभूषण सामने आए जिसकी बाजार में कीमत अरबों रुपए में हैं। इस खजाने में सोने की बड़ी गदा, सोने के सिक्कों का हार, सोने की जंजीर, चांदी की तलवार, महालक्ष्मी का स्वर्ण मुकुट, श्रीयंत्र हार, सोने की चिड़िया, सोने के घुंघरू, हीरों की कई मालाएं आदि जेवरात मिले थे।
मंदिर का इतिहास
कोल्हापुर का इतिहास धर्म से जुडा हुआ है और इसी वजह से ये जगह धर्म की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। मंदिर के बाहर लगे शिलालेख से पता चलता है कि यह 2 हजार साल पुराना है। शालिवाहन घराने के राजा कर्णदेव ने इसका निर्माण करवाया था, जिसके बाद धीरे-धीरे मंदिर के अहाते में 30-35 मंदिर और निर्मित किए गए। 27 हजार वर्गफुट में फैला यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शुमार है। आदि शंकराचार्य ने महालक्ष्मी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की थी।
भारतीय कला की मिसाल
काले पत्थरों पर कमाल की नक्काशी हजारों साल पुराने भारतीय स्थापत्य की अद्भुत मिसाल है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में महालक्ष्मी हैं, उनके दाएं-बाएं दो अलग गर्भगृहों में महाकाली और महासरस्वती के विग्रह हैं। पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के प्रबंधक धनाजी जाधव नौ पीढ़ियों से यहां देखरेख कर रहे हैं। वे बताते हैं कि यह देवी की 51 शक्तिपीठों में से एक है। दिवाली की रात दो बजे मंदिर के शिखर पर दीया रोशन होता है, जो अगली पूर्णिमा तक नियमित रूप से जलता है।
ऐसी है देवी की प्रतिमा
महालक्ष्मी की दो फीट नौ इंच ऊंची मूर्ति यहां स्थापित है। मूर्ति में महालक्ष्मी की 4 भुजाएं हैं। इनमें महालक्ष्मी मेतलवार, गदा, ढाल आदि शस्त्र हैं। मस्तक पर शिवलिंग, नाग और पीछे शेर है। घर्षण की वजह से नुकसान न हो इसलिए चार साल पहले औरंगाबाद के पुरातत्व विभाग ने मूर्ति पर रासायनिक प्रक्रिया की है। इससे पहले 1955 में भी यह रासायनिक लेप लगाया गया था। महालक्ष्मी की पालकी सोने की है। इसमें 26 किलो सोना लगा है। हर नवरात्रि के उत्सव काल में माता जी की शोभा यात्रा कोल्हापुर शहर में निकाली जाती है।
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