सार

धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस या गोवत्स द्वादशी कहते हैं। इस दिन पुत्रवती महिलाएं गाय व बछड़ों का पूजन करती हैं।

उज्जैन. इस दिन पुत्रवती महिलाएं गाय व बछड़ों का पूजन करती हैं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस बार ये पर्व 15 अगस्त, शनिवार को है। बछ बारस की पूजा व व्रत विधि इस प्रकार है-

 - सर्वप्रथम व्रतधारी महिलाएं सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद गाय (दूध देने वाली) को उसके बछडे़ सहित स्नान कराएं।
- अब दोनों को नया वस्त्र ओढ़ाएं। दोनों को फूलों की माला पहनाएं। गाय और बछड़े के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं।
- अब तांबे के बर्तन में चावल, तिल, जल, सुगंध तथा फूलों को मिला लें। अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए गाय के पैर धोएं-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
- इसके बाद माता के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं। गौमाता का पूजन करने के बाद बछ बारस की कथा सुनें। दिनभर व्रत रखकर रात्रि में अपने इष्ट तथा गौमाता की आरती करके भोजन ग्रहण करें।
- इस दिन गाय के दूध, दही व चावल का सेवन न करें। यदि किसी के घर गाय-बछड़े न हो, तो वह दूसरे की गाय-बछड़े का पूजन करें।