सार

ईदुज्जुहा से जुड़ी एक कहानी प्रसिद्ध है जिससे कुर्बानी का पैगाम मिलता है

उज्जैन. इस बार 12 अगस्त, सोमवार को मुस्लिमों का प्रमुख त्योहार ईदुज्जुहा है। इसे बकरीद भी कहते हैं। ये त्योहार कुर्बानी का पैगाम देता है।

इस त्योहार से जुड़ी एक कथा भी प्रचलित है जो इस प्रकार है-
ऐसा माना जाता है कि पैगम्बर हजरत को अल्लाह ने हुक्म दिया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को मेरे लिए कुर्बान कर दो। पैगंबर साहब को अपना इकलौता बेटा इस्माइल सबसे अधिक प्रिय था। खुदा के हुक्म के अनुसार, उन्होंने अपने प्रिय इस्माइल को कुर्बान करने का मन बना लिया।
इस बात से इस्माइल भी खुश था कि वह अल्लाह की राह पर कुर्बान होगा। बकरीद के दिन ही जब कुर्बानी का समय आया, तब इस्माइल की जगह एक दुंबा (भेड़ की नस्ल का एक पशु) कुर्बान हो गया। अल्लाह ने इस्माइल को बचा लिया और पैगंबर साहब की कुर्बानी कबूल कर ली। तभी से हर साल पैगंबर साहब द्वारा दी गई कुर्बानी की याद में बकरीद मनाई जाती है।

ये हैं इस्लाम के 5 कर्तव्य

1. कलमा पढ़ना- ला इलाह इल्लललाह मुहम्मदुर्ररसूलल्लाह। इस मूल मंत्र के जरिए यह मानना, स्मरण करना और बोलना कि अल्लाह एक है और मुहम्मद साहब उनके रसूल हैं।

2. नमाज- हर रोज 5 बार अल्लाह से प्रार्थना करना। इसे सलात भी पुकारा जाता है।

3. रोजा रखना- इस्लाम धर्म का पवित्र महीना होता है रमजान। इसमें महीने भर केवल सूर्यास्त के बाद 1 बार खाना खाने का नियम पूरा करना।

4. जकात- सालाना आमदनी का एक नियत हिस्सा (तकरीबन ढाई प्रतिशत तक) दान करना जकात कहलाता है।

5. हज- इस्लाम धर्म के पवित्र तीर्थ स्थानों मक्का और मदीना की यात्रा करना हज कहलाता है।