सार
प्रत्येक मास की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है, इसे प्रदोष व्रत कहते हैं। इस बार प्रदोष व्रत 3 जून, बुधवार को है।
उज्जैन. सूतजी के अनुसार, बुध प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बुध प्रदोष व्रत के पालन के लिए विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है।
व्रत और पूजा की विधि
- प्रदोष में बिना कुछ खाए व्रत रखने का विधान है। ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फल खा सकते हैं। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। इसके बाद शिवजी की आरती करें।
- रात में जागरण करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें। इस तरह व्रत व पूजा करने से व्रती (व्रत करने वाला) की हर इच्छा पूरी हो सकती है।