सार

इस बार 22 मार्च, रविवार को मां हिंगलाज जयंती है। वैसे तो भारत में देवी हिंगलाज के अनेक मित्र हैं, लेकिन मुख्य मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है।

उज्जैन. ये मंदिर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही ही आस्था का केंद्र हैं। हिंदू इसे शक्तिपीठ मानते हैं और मुस्लिम संप्रदाय के लोग इसे नानी का हज कहते हैं।

51 शक्तिपीठ में से एक है ये मंदिर
हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। ये मंदिर मकरान रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की एक शृंखला के अंत में है। मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है। जहां एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है।

यहां गिरा था देवी सती का सिर
जब देवी सती ने आत्मदाह किया तो भगवान शिव उनके शव को लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे। शिव के मोह को भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के देह के टुकड़े कर दिए। जहां-जहां सती के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ कहलाए। मान्यता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ में देवी सती का सिर गिरा था।

मुस्लिम भी करते हैं पूजा
पाकिस्तान के मुस्लिम भी हिंगलाज माता पर आस्था रखते हैं और मंदिर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। वे इस मंदिर को नानी का मंदिर कहते है। एक प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए स्थानीय मुस्लिम जनजातियां, तीर्थयात्रा में शामिल होती हैं और तीर्थयात्रा को नानी का हज कहते हैं।