सार
कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर यानी दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2021) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 5 नवंबर, शुक्रवार को है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं। इस पर्व की कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हैं।
उज्जैन. दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2021) के साथ ही विभिन्न मंदिरों में अन्नकूट की आयोजन भी किया जाता है जिसमें भगवान को 56 भोग लगाया जाता है। कुछ स्थानों पर इस दिन गायों की पूजा की जाती है। इसके अलावा और भी कई परंपराएं इस उत्सव से जुड़ी हैं। कुल मिलाकर ये उत्सव गौ धन से जुड़ा है। गौ धन हजारों सालों से मनुष्य के साथी रहे हैं, ये उत्सव इस तथ्य को और अधिक मजबूत करता है।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
सुबह 7.59 से 10.47 तक
(उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मितेश पाण्डे के अनुसार)
पूजन विधि
- गोवर्धन पूजा का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन सुबह शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करना चाहिए।
- फिर घर के मुख्य दरवाजे पर गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं। इस पर्वत के बीच में पास में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रख दें।
- अब गोवर्धन पर्वत व भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के पकवानों व मिष्ठानों का भोग लगाएं।
- साथ ही देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें। पूजा के बाद कथा सुनें। प्रसाद के रूप में दही व चीनी का मिश्रण सब में बांट दें।
- इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करवाकर उसे दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करें। इस दिन गौधन यानी गाय-बैलों की भी पूजा करनी चाहिए।
इसलिए करते हैं गोवर्धन पर्वत की पूजा...
- एक बार जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गांव में इंद्र देवता की पूजा होती देखी तो इसका कारण पूछा। गांव वालों ने बताया कि- इंद्रदेव वर्षा करते हैं, जिससे अन्न पैदा होता है, उसी से हमारा भरण-पोषण होता है।
- तब श्रीकृष्ण ने कहा कि- इंद्र से अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसी के कारण वर्षा होती है। हमें इंद्र से भी बलवान गोवर्धन की ही पूजा करना चाहिए। तब सभी श्रीकृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे।
- क्रोधित होकर इंद्र ने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। भयभीत होकर सभी लोग श्रीकृष्ण की शरण में गए। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी उंगली पर उठाकर छाते-सा तान दिया। सभी लोग उसी की छाया में रहकर अतिवृष्टि से बच गए।
- यह चमत्कार देखकर इंद्रदेव भी चकित रह गए। इंद्र ने आकर श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। तभी ये प्रतिवर्ष दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।
लाइफ मैनेजमेंट
श्रीकृष्ण ने इस घटना के माध्यम से बताया है कि भ्रष्टाचार बढ़ाने में दो पक्षों का हाथ होता है। एक जो कर्तव्यों के पालन के लिए अनुचित लाभ की मांग करता है, दूसरा वह पक्ष जो ऐसी मांगों पर बिना विचार और विरोध के लाभ पहुंचाने का काम करता है। इंद्र मेघों का राजा है, लेकिन पानी बरसाना उसका कर्तव्य है। इसके लिए उसकी पूजा की जाए या उसके लिए यज्ञ किए जाएं, आवश्यक नहीं है। अनुचित मांगों पर विरोध जरूरी है। जो लोग किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि को उसके कर्तव्य की पूर्ति के लिए रिश्वत देते हैं तो वे भी भ्रष्टाचार फैलाने के दोषी हैं।
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