सार

Guru Nanak Dev Jayanti 2022: हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 8 नवंबर, मंगलवार को है। इस दिन सिक्ख समाज के लोग गुरु द्वारों में विशाल आयोजन करते हैं और जुलूस आदि भी निकालते हैं।
 

उज्जैन. गुरु नानक देव ने ही सिक्ख धर्म की नींव रखी थी। इनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा पर हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन गुरु नानकदेव की जयंती (Guru Nanak Dev Jayanti 2022) बड़ी ही धूम-धाम से मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 8 नवंबर, मंगलवार को है। इस दिन गुरु द्वारों में विशेष पूजा और अरदास की जाती है। लंगरों का आयोजन किया जाता है और जुलूस आदि भी निकाले जाते हैं। इस मौके पर हम आपको गुरु नानकदेव के जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग बता रहे हैं, जिनमें लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र छिपे हैं। आगे जानिए इन प्रसंगों के बारे में…

गुरु नानक देव ने जमींदार को दिखाया सही रास्ता
एक बार गुरु नानक देव अपने शिष्यों के साथ एक गांव में पहुंचें। एक किसान ने उन्हें अपने घर पर भोजन के लिए बुलाया। जैसे गुरु नानकदेव भोजन करने बैठे वहां गांव का सबसे बड़ा जमींदार भी आ गया। वो गुरु नानकदेव से बार-बार उसके घर चलकर भोजन करने के लिए प्रार्थना करने लगा। गुरु नानक देव ने उस गरीब किसान की रोटी अपने साथ ली और जमींदार के घर चले गए।
जमींदार ने तरह-तरह के व्यंजन गुरु नानकदेव के सामने परोसे। गुरु नानकदेव वहां उस गरीब किसान के घर से लाई रोटी खाने लगे। ये देखकर जमींदार ने इसका कारण पूछा। गुरु नानकदेव ने कुछ नहीं बोला। जमींदार के जिद करने पर गुरु नानकदेव ने एक साथ में गरीब किसान की रोटी और दूसरे हाथ में जमींदार के घर की रोटी उठाई उन दोनों को जोर से दबाया।
किसान की रोटी से दूध बहने लगा और जमींदार की रोटी से रक्त की धारा। गुरु नानकदेव ने कहा कि किसान की रोटी उसकी मेहनत से कमाई हुई है जबकि तुम्हारा भोजन गलत तरीके से कमाए गए धन से बनाया गया है। इसमें मासूम लोगों की खून भी शामिल है, जिनके साथ तुमने धोखा किया है। ये देखकर जमींदार को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने जीवन में फिर कभी गलत तरीके से पैसा न कमाने की कसम खाई।


जब गुरु नानकदेव ने दिया अजीब आशीर्वाद
एक बार गुरु नानकदेव एक गांव से गुजर रहे थे। उस गांव के लोग बहुत क्रोधी और लालची और नास्तिक किस्म के थे। गुरु नानक देव ने जब ये सब देखा तो उन्हें आशीर्वाद दिया कि यही बसे रहे और आबाद रहो। इसके बाद गुरु नानकदेव दूसरे गांव में पहुंचे तो वहां के लोग बहुत मेहनती और प्रेम से रहने वाले थे। उन्होंने गुरु नानकदेव का खूब आदर सत्कार किया। गुरु नानक ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उजड़ जाओ, इधर-ऊधर फैल जाओ। 
गुरु नानक देव के मुंह से ऐसा आशीर्वाद सुनकर उनके शिष्य ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि “नास्तिक लोग जहां भी जाएंगे, वहां के लोगों को अपने जैसा बना देंगे, इसलिए मैंने उन्हें वहीं रहने का आशीर्वाद दिया, जबकि आस्तिक लोग जहां जाएंगे, वहां प्रेम फैलाएंगे और ईश्वर की भक्ति का प्रचार-प्रसार करेंगे, इसलिए उन्हें मैंने दुनिया में फैल जाने का आशीर्वाद दिया।


जब गुरु नानकदेव पहुंचें मक्का-मदीना
गुरु नानकदेव ने अपने जीवन में अरब और फारस तक की यात्रा की थी। एक बार गुरु नानकदेव अपने शिष्यों के साथ मक्का पहुंच गए। वहां जाते-जाते जब वे बहुत थक गए तो एक जगह लेटकर आराम करने लगे। तभी वहां एक मुस्लिम व्यक्ति आया और गुस्सा होकर बोलने लगा “आपने जिस ओर पैर किए हैं, उस ओर पवित्र मक्का है।”
गुरु नानक देव ने उससे कहा “ तो तुम मैरे पैर उस तरफ कर दो, जहां खुदा न हो।” गुरु नानकदेव की बात सुनकर उस व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ क्योंकि वह समझ चुका था कि कोई दिशा ऐसी नहीं जहां खुदा न हो, वो तो हर दिशा में व्याप्त है।


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