सार
Guru Pradosh Vrat 2022: इस बार 8 सितंबर, गुरुवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का योग बन रहा है। इस दिन गुरु प्रदोष का व्रत किया जाएगा। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रतों के बारे में बताया गया है। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस बार 8 सितंबर, गुरुवार (Guru Pradosh Vrat 2022) को ये व्रत किया जाएगा। गुरुवार को होने से ये गुरु प्रदोष कहलाएगा। धर्म ग्रंथों में हर प्रदोष व्रत की अलग कथा (Guru Pradosh Katha) बताई गई है। प्रदोष व्रत की पूजा करने के बाद ये कथा जरूर सुननी चाहिए। आगे जानिए गुरु प्रदोष व्रत की कथा…
जब असुरों की सेना ने किया स्वर्ग पर आक्रमण
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृत्तासुर नाम का एक परम शक्तिशाली दैत्य था। एक बार उसने अपनी सेना सहित स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। देवताओं और असुरों में भयंकर युद्ध हुआ। देवताओं की शक्ति से घबराकर असुरों की सेना भागने लगी। ये देखकर वृत्तासुर बहुत क्रोधित हो उठा और मायावी रूप लेकर देवताओं से अकेले ही युद्ध करने लगा। उसके विकराल रूप को देखकर देवताओं में भगदड़ मच गई। तभी सभी देवता देवगुरु बृहस्पति की शरण में गए।
देवगुरु बृहस्पति ने बताया ये रहस्य
देवगुरु बृहस्पति ने वृत्तासुर के बारे में देवताओं को बताया कि उसने गंधमादन पर्वत पर वर्षों तक कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया है और कई प्रकार के वरदान पाकर वह इतना शक्तिशाली हो चुका है। अपने पूर्व जन्म में वह राजा चित्ररथ था। एक बार जब वह कैलाश पर शिवजी के दर्शन के लिए आया तो उसने किसी बात पर माता पार्वती का उपहास कर दिया। तब देवी ने उसे राक्षस बनने का श्राप दे दिया।
इस तरह वृत्तासुर पर विजय पाई देवताओं ने
माता पार्वती के श्राप से राजा चित्ररथ असुर बन गया और वृत्तासुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। देवगुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र से कहा कि “वृत्तासुर भगवान शिव का परम भक्त है। ऐसे में यदि सभी देवता गुरु प्रदोष व्रत कर भोलेनाथ को प्रसन्न करें तो वृत्तासुर पर विजय पाई जा सकती है। सभी देवताओं ने ऐसा ही किया और वृत्तासुर को पराजित कर दिया। इस प्रकार से जो भी लोग गुरु प्रदोष व्रत रखते हैं, उन्हें अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
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