सार

Hindu Tradition: हिंदू धर्म में पूजा से जुड़ी कई परंपराएं और मान्यताएं हैं। इन परंपराओं के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे रहते हैं। लेकिन बहुत कम लोग इन कारणों के बारे में जानते हैं।
 

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों का मानव जीवन पर व्यापक असर पड़ता है। इसलिए ग्रहों की पूजा देवताओं के रूप में भी की जाती है। (Beliefs related to Shani Dev) वैसे तो हर ग्रह हमारी लाइफ को किसी न किसी तरह से प्रभावित करता है, लेकिन सबसे ज्यादा असर शनि ग्रह का होता है। शनि को न्यायाधीश भी कहा जाता है। यानी मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही प्रदान करते हैं। घरों में सूर्यदेव, देवगुरु बृहस्पति आदि ग्रहों के चित्र या प्रतिमाएं देखने को मिल जाती हैं, लेकिन शनिदेव की प्रतिमा या चित्र घर में कोई नहीं रखता। इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं। आगे जानिए इन कारणों के बारे में…

ये है धार्मिक कारण
प्रचलित कथा के अनुसार, शनिदेव का विवाह चित्ररथ गंधर्व की पुत्री से हुआ था, जो स्वभाव से बहुत ही क्रोधी थी। एक बार शनिदेव की पत्नी ऋतु स्नान के बाद मिलन की इच्छा से उनके पास गई ,लेकिन उस समय शनिदेव तपस्या कर रहे थे। जब शनिदेव ने आंखें खोली, तब तक उनकी पत्नी का ऋतुकाल समाप्त हो चुका था। क्रोधित होकर शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप दे दिया कि अब आप जिसे भी देखेंगे, उसका कुछ न कुछ अहित हो जाएगा। इसी वजह से शनिदेव की दृष्टि में दोष माना गया है। यही कारण है कि कोई भी व्यक्ति शनिदेव की प्रतिमा घर में नहीं रखता। घर में शनिदेव का चित्र रखने से उनकी नजर बार-बार घर के सदस्यों पर पड़ती है, जिसे अशुभ माना जाता है।



ये है ज्योतिषीय कारण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि एक क्रूर ग्रह है। शनिदेव की प्रतिमा या चित्र घर में रखने से निगेटिविटी बढ़ने का खतरा रहता है। घर में यदि निगेटिविटी अधिक हो जाए तो इसका बुरा असर वहां रहने वाले लोगों पर हो सकता है। इसी वजह से लोग घर में शनिदेव की प्रतिमा या चित्र नहीं रखते हैं। साथ ही घर में यदि शनिदेव का चित्र हो तो कुछ नियमों का पालन भी विशेष रूप से करना पड़ता है। जो कि आमजन के लिए संभव नहीं होता। 


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