सार

माघ महीने में भगवान विष्णु की पूजा से हर तरह के दोष और पाप खत्म हो जाते हैं। इस पवित्र महीने में विष्णु पूजा के आखिरी दो दिन 12 और 13 फरवरी को रहेंगे। इनमें शनिवार को एकादशी और रविवार को कुंभ संक्रांति के साथ द्वादशी तिथि का शुभ संयोग भी बनेगा।

उज्जैन. 12 को एकादशी और 13 को द्वादशी तिथि होने के अगले ही दिन यानी 14 फरवरी को सोम प्रदोष का शुभ योग बन रहा है। इस दिन शिवजी की पूजा व व्रत करने से मनचाही इच्छा पूरी हो सकती है। माघ मास में भगवान विष्णु को तिल से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है और व्रत के दौरान फलाहार में तिल से बनी चीजें ही खाई जाती है। इन व्रतों से जुड़ी और भी कई परंपराएं हैं, जो इस प्रकार हैं…

तीर्थ स्नान की परंपरा
पुराणों के मुताबिक, इन दो पर्वों पर भगवान विष्णु की तिल से पूजा करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य फल मिलता है। इन दो दिनों में तीर्थ स्नान की भी परंपरा है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पूरे साल तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिलता है। इस बार द्वादशी तिथि पर कुंभ संक्रांति पर्व होने से इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में नहाने से जाने-अनजाने हुए पाप और हर तरह के दोष खत्म होंगे।

दान करने से कई यज्ञों का फल
इन दोनों पर्वों पर व्रत रखने के साथ सिर्फ तिल का फलाहार करने का विधान भी शास्त्रों में बताया गया है। साथ ही जया एकादशी और माघ द्वादशी पर तिल दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है। कुंभ संक्रांति पर तिल, गर्म कपड़े, खाना, कंबल, जूते-चप्पल और अन्य जरूरी चीजें दान करने से कई यज्ञों का फल मिलता है। व्रत और दान की इस परंपरा से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

14 को शुभ योग में करें शिव पूजा
14 फरवरी को साल 2022 का पहला सोम प्रदोष रहेगा। इस दिन चंद्रमा स्वराशि यानी कर्क में रहेगा, जो एक शुभ योग है। साथ ही इस दिन आयुष्मान-सौभाग्य, रवि योग और साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहे है। ये सभी शुभ योग इस दिन को और भी खास बना रहे हैं। इस दिन की गई शिव पूजा से हर काम में सफलता मिलने के योग बनते हैं।