सार

Indira Ekadashi 2022 Katha: इस बार 21 सितंबर, बुधवार को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा। श्राद्ध पक्ष में होने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने पितरों को मोक्ष मिलता है।
 

उज्जन. धर्म ग्रंथों में श्राद्ध पक्ष की एकादशी तिथि को बहुत खास माना गया है। इसे इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये तिथि 21 सितंबर, बुधवार को है। पुराणों के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, वहीं व्रती (व्रत करने वाला) को भी मनचाही सफलता मिलने के योग बनते हैं। इस व्रत का पूरा फल तभी मिलता है, जब इसकी कथा सुनी जाए। आगे जानिए इंदिरा एकादशी व्रत से जुड़ी कथा…

ये है इंदिरा एकादशी व्रत की कथा (Indira Ekadashi 2022 Katha)
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में महिष्मति नाम का एक नगर था, जिसका राजा इंद्रसेन था। राजा इंद्रसेन भगवान विष्णु का परम भक्त था। एक दिन नारद मुनि राजा इंद्रसेन की सभा में आए। राजा ने उन्हें उचित मान-सम्मान देकर सिंहासन पर बैठाया। 
- इसके बाद नारदजी ने बताया कि वे राजा इंद्रसेन के पिता का संदेश लेकर आए हैं। राजा इंद्रसेन के पिता ने कहा था कि पूर्व जन्म में किसी भूल के कारण वह यमलोक में ही हैं। यमलोक से मु्क्ति से के लिए उनके पुत्र को इंदिरा एकादशी का व्रत करना होगा, तभी उन्हें मोक्ष मिलेगा।
- राजा इंद्रसेन ने नारदजी ने इंदिरा एकादशी के बारे में पूछा। नारदजी ने बताया कि “ये एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पड़ती है। इस व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही करना होता है। एकादशी व्रत के बाद द्वादशी तिथि पर व्रत का पारणा भी आवश्यक है। तभी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।
- इस तरह इंदिरा एकादशी के बारे में संपूर्ण जानकारी देकर नारदजी लौट गए। जब आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी आई तो राजा ने पूरे विधि-विधान से परिवार सहित इंदिरा एकादशी का व्रत किया। उसके पुण्य फल से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से राजा इंद्रसेन को भी मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति हुई। 


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