सार

interesting facts of sanjeevani vidya: संजीवनी विद्या के बारे में हम सभी ने सुना है, इस विद्या के माध्यम से मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित किया जा सकता था। इस विद्या का ज्ञान महादेव के अलावा सिर्फ 2 और को  था, लेकिन बहुत कम लोग इन 2 ऋषियों के बारे में जानते हैं।

उज्जैन. हमारे धर्म ग्रंथों में अनेक विद्याओं के बारे में बताया गया है। इन्हीं में से एक है संजीवनी विद्या। इस विद्या के जनक स्वयं महादेव हैं। महादेव ने ये विद्या अपने परम शिष्य को दी और इसके बाद ये विद्या आगे पहुंची। इस विद्या के माध्यम से किसी भी मृत व्यक्ति को दोबारा जीवित किया जा सकता था। शिव पुराण, रामायण आदि कई ग्रंथों में इस विद्या का वर्णन मिलता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि महादेव के अतिरिक्त और किन ऋषियों को इस विद्या का ज्ञान था…

महादेव से इन्होंने पाया संजीवनी विद्या का ज्ञान
शिव पुराण के अनुसार, महर्षि भृगु के पुत्र शुक्राचार्य थे। शुक्राचार्य बाल्यकाल से ही महादेव के परम भक्त थे। शुक्राचार्य ने घोर तपस्या से महादेव को प्रसन्न कर लिया और उनसे संजीवनी विद्या का वरदान मांगा। महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें ये वरदान दे दिया। बाद में शुक्राचार्य दैत्यों के कुलगुरु बन गए। देवासुर संग्राम के समय शुक्रचार्य संजीवनी विद्या के बल पर मृत दैत्यों को पुनर्जीवित कर देते थे, जिससे देवता का पक्ष कमजोर होने लगा। तब देवता अमृत पीकर अमर हो गए और दैत्यों पर विजय प्राप्त की।

जब शुक्रचार्य को निगल लिया महादेव ने
एक बार दैत्यों और देवताओं में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में महादेव देवताओं का साथ दे रहे थे। उस युद्ध में शुक्राचार्य मृत दैत्यों को बार-बार पुनर्जीवित कर देते थे। क्रोधित होकर महादेव ने शुक्राचार्य को निगल लिया। शुक्राचार्य महादेव के शरीर में काफी समय तक रहे और बाद में लिंग द्वार से शुक्र के रूप में बाहर निकले। इसलिए इनका नाम शुक्राचार्य पड़ा। देवी पार्वती ने इन्हें अपना पुत्र माना।

शुक्राचार्य ने किसे दिया संजीवनी विद्या का ज्ञान?
महाभारत के अनुसार, देवताओं के गुरु बृहस्पति के पुत्र कच थे। कच एक बार शुक्राचार्य के पास गए और उन्हें अपने गुरु मानकर उनकी सेवा करने लगे। दैत्य समझ गए कि गुरु बृहस्पति का पुत्र कच शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या सीखने आया है, इसलिए उन्होंने कच का वध कर दिया, लेकिन शुक्राचार्य ने उसे पुनर्जीवित कर दिया। दैत्यों ने ऐसा एक नहीं कई बार किया, लेकिन शुक्राचार्य बार-बार उसे पुनर्जीवित कर देते थे।

जब शुक्राचार्य का पेट फाड़कर निकले कच
एक बार दैत्यों ने कच का वध कर उसके शरीर को जला दिया। बाद में कच के शरीर की राख को मदिरा में मिलाकर शुक्राचार्य को पिला दिया। जब शुक्राचार्य को ये बात पता चली तो वे अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने अपने पेट में कच की राख को ही संजीवनी विद्या का ज्ञान दे दिया, जिससे कच शुक्राचार्य का पेट फाड़कर बाहर आ गए। ऐसा करने से शुक्राचार्य की मृत्यु हो गई, लेकिन कच ने संजीवनी विद्या के माध्मय से उन्हें दोबारा जीवित कर दिया।   


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