सार

भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej 2021) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 25 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। इस बार कजरी तीज (Kajari Teej) पर धृति योग बन रहा है। 

उज्जैन. इस बार कजरी तीज का पर्व 25 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। इस बार कजरी तीज (Kajari Teej) पर धृति योग बन रहा है। ऐसी मान्यता है कि धृति योग में किए गए सारे कार्य पूरे होते हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। कुवांरी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। कजरी तीज के दिन महिलाएं नीमड़ी माता की पूजा करती हैं। ये है व्रत और पूजा की विधि…

- पूजन करने के लिए मिट्टी व गोबर से दीवार के किनारे तालाब के जैसी आकृति बनाई जाती है। घी और गुड़ से पाल बांधा जाता है और उसके पास नीम की टहनी को रोपा जाता है। जो तालाब के जैसी आकृति बनाई जाती है। उसमें कच्चा दूध और जल डाला जाता है। फिर दिया प्रज्वलित किया जाता है। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि पूजा सामाग्री रखी जाती है। 
- सबसे पहले पूजा की शुरूआत नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे देने से करें। फिर चावल चढ़ाएं। अनामिका उंगली से नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली की 13 बिंदिया लगाएं। साथ ही काजल की 13 बिंदी भी लगाएं, काजल की बिंदियां तर्जनी उंगली से लगाएं।
- नीमड़ी माता को मोली चढ़ाएं और उसके बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र भी अर्पित करें। फिर उसके बाद जो भी चीजें आपने माता को अर्पित की हैं, उसका प्रतिबिंब तालाब के दूध और जल में देखें। तत्पश्चात गहनों और साड़ी के पल्ले आदि का प्रतिबिंब भी देखें। 
- कजरी तीज (Kajari Teej) पर संध्या को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। फिर उन्हें भी रोली, अक्षत और मौली अर्पित करें। चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानों को हाथ में लेकर चंद्रमा के अर्ध्य देते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमा करें।