सार
Kalki Jayanti 2022: श्रीमद्भागवत (srimadbhagvat) में भगवान विष्णु के 24 अवतारों के बारे में बताया गया है। इनमें से 23 अवतार तो जन्म ले चुके हैं, सिर्फ एक अवतार होना बाकी है। भगवान विष्णु का ये अवतार है कल्कि।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कलयुग के अंत में धर्म की पुर्नस्थापना के लिए भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। इस अवतार का जन्म श्रावण मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को होगा। इसलिए प्रतिवर्ष इस तिथि पर कल्कि जयंती (Kalki Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 3 अगस्त, बुधवार को है। भगवान विष्णु का ये अवतार कब और कहां जन्म लेगा, इस बारे में श्रीमद्भागवत आदि ग्रंथों में विस्तार पूर्वक बताया गया है। आगे जानिए कल्कि अवतार से जुड़ी खास बातें…
कब होगा कल्कि अवतार? (When will Lord Vishnu take Kalki avatar?)
- श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान विष्णु का कल्कि अवतार कलियुग और सतयुग के संधि काल में होगा। ये अवतार 64 कलाओं से पूर्ण होगा। भगवान कल्कि उत्तर प्रदेश में संभल नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में जन्म लेंगे।
- भगवान कल्कि पापियों का सर्वनाश करने के बाद धर्म की पुर्नस्थापना करेंगे और तभी से सतयुग का आरंभ होगा। श्रीमद्भागवत महापुराण के 12वें स्कंद के 24वें श्लोक के अनुसार, गुरु, सूर्य और चंद्रमा जब एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तो भगवान कल्कि का जन्म होगा।
- वैसे तो हमारे देश में भगवान कल्कि के अनेक मंदिर हैं। लेकिन इन सभी में उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर सबसे पुराना है। मान्यता है कि ये मंदिर लगभग 1 हजार साल पुराना है।
इस विधि से करें भगवान कल्कि की पूजा (Worship Lord Kalki with this method)
- कल्कि जयंती यानी 3 अगस्त की सुबह सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु (कल्कि की प्रतिमा न हो तो) की प्रतिमा का जल से अभिषेक करें।
- इसके बाद कुंकुम से तिलक करें। चावल अर्पित करें। फूलमाला पहनाएं, अबीर, गुलाल, आदि चीजें चढ़ाएं। गाय के शुद्ध घी की दीपक लगाएं। इस तरह पूरे विधि-विधान से पूजा करें।
- इस प्रकार भगवान कल्कि की पूजा करने के बाद आरती करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
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