सार

इस बार 4 नवंबर, बुधवार को सुहागिन महिलाओं का खास त्योहार करवा चौथ है। सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए माता से प्रार्थना करती हैं। चौथ माता का एक सुप्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के पास ही स्थित है। संभवतया ये देश का एकमात्र चौथ माता का मंदिर है।

उज्जैन. इस बार 4 नवंबर, बुधवार को सुहागिन महिलाओं का खास त्योहार करवा चौथ है। इस दिन स्त्रियां अपने पति के सौभाग्य, लंबी उम्र और आरोग्य लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ पर चौथ माता की पूजा की जाती है। सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए माता से प्रार्थना करती हैं। चौथ माता का एक सुप्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के पास ही स्थित है। यहां पहुंचने के लिए सभी बड़े शहरों से आवागमन के कई साधन मिल जाते हैं। संभवतया ये देश का एकमात्र चौथ माता का मंदिर है। यहां जानिए चौथ माता के मंदिर से जुड़ी खास बातें...

सवाई माधोपुर में है चौथ माता का मंदिर
चौथ माता का मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की स्थापना करीब 1450 में यहां के शासक भीम सिंह ने की गई थी। इस मंदिर में दर्शन के लिए राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर साल नवरात्र में यहां कई धार्मिक आयोजनों होते हैं। विशेष रूप से करवा चौथ पर महिलाएं बड़ी संख्या में यहां माता के दर्शन के लिए पहुंचती हैं।

कैसा है मंदिर
- मंदिर करीब एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। शहर से 35 किमी दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यहां की हरियाली और सुंदरता भक्तों के मन को शांति प्रदान करती है। यहां सफेद संगमरमर से बने कई स्मारक हैं। मंदिर की दीवारों और छत पर शिलालेख लगे हैं। मंदिर में वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली देखी जा सकती है।
- मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा, मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी हैं।

किसी भी शुभ काम का पहला निमंत्रण देते हैं माता को
इस क्षेत्र के लोग किसी भी शुभ काम से पहले चौथ माता को निमंत्रण देते हैं। आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। भक्त संतान की प्राप्ति और सुख-समृद्धि की कामना लेकर चौथ माता के दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि माता सभी की इच्छा पूरी करती हैं।