सार
गुरु के महत्व को समझने के लिए ही प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (16 जुलाई, मंगलवार) का पर्व मनाया जाता है।
उज्जैन. हिंदू धर्म में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही अपने शिष्यों को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु के महत्व को समझने के लिए ही प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (16 जुलाई, मंगलवार) का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करता है, उसका जीवन सफल हो जाता है।
गुरु के सामने क्या नहीं करना चाहिए, जानिए-
1. शिष्य को गुरु के समान आसन पर नहीं बैठना चाहिए। यदि गुरु जमीन पर बैठे हों तो शिष्य भी जमीन पर बैठ सकते हैं।
2. गुरु के सामने दीवार या अन्य किसी सहारे से टिक कर न बैठें, उनके सामने पांव फैला कर ना बैठें।
3. गुरु के सामने कभी भी अश्लील शब्दों का प्रयोग नही करें। गुरु की हर बात माननी चाहिए।
4. जब भी गुरु से मिलने जाएं तो खाली हाथ न जाएं, कुछ न कुछ उपहार अवश्य साथ ले जाएं।
5. गुरु के सामने सादे कपड़े पहनकर ही जाना चाहिए। धन का प्रदर्शन गुरु के सामने नहीं करना चाहिए।
6. गुरु अगर कोई ज्ञान की बात बता रहे हों तो उसे मन लगाकर सुनें यानी आलस्य न करें।
7. गुरु का नाम लेते समय उनके नाम के आगे परम आदरणीय या परमपूज्य जैसे शब्दों का उपयोग करना चाहिए।
8. स्वयं कभी गुरु की बुराई न करें। अगर कोई गुरु की बुराई कर रहा हो तो वहां से उठकर चले जाना चाहिए।
इस दिन गुरु को राशि अनुसार उपहार देने का भी विशेष महत्व है।
जानिए राशि अनुसार गुरु को क्या उपहार दें-
1. मेष, तुला, मकर व कर्क राशि वाले लोग अपने गुरु को सफेद कपड़े, चावल, सफेद मिठाई या अन्य कोई सफेद वस्तु उपहार में दे सकते हैं।
2. वृषभ, सिंह, वृश्चिक व कुंभ राशि वाले अपने गुरु को लाल कपड़े, लाल फल, अनाज भेंट कर सकते हैं। इससे इन्हें शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।
3. मिथुन, कन्या, धऩु व मीन राशि वाले लोग अपने गुरु को पीले रंग के फल, कपड़े मिठाई आदि चीजें उपहार में देंगे तो शुभ रहेगा।