सार

हमारे नीति ग्रंथों में पंचतंत्र का बड़ा महत्व है। इस ग्रंथ में जीवन जीने की कला सिखाई गई है। पंचतंत्र में ऐसी कई नीतियां बताई गई हैं, जिनका पालन करने पर अपने अच्छे-बुरे की पहचान आसानी से की जा सकती है।

उज्जैन. पंचतंत्र की एक नीति तीन ऐसे कामों के बारे में बताती है, जिनको किसी भी मनुष्य को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

अयशः प्राप्यते येन येन चापगतिर्भवेत्।
स्वर्गाच्च भ्रंश्यते येन न तत्कर्म समाचरते।। (पंचतंत्र)

जिस काम से अपमान मिले
मनुष्य जीवन में मान-सम्मान को ही सबसे कीमती माना जाता है। सम्मानहीन मनुष्य जीवित होने पर भी मरे के समान माना जाता है। मनुष्य को ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए, जिससे उसके सम्मान पर कोई आंच आए या उसे अपमान का पात्र बनना पड़े।

जिस काम से दुर्गति (बुरा हाल) हो
मनुष्य कई बार लालच या जलन की भावना के कारण कुछ ऐसे काम भी कर जाता है, जो उसे बिलकुल नहीं करना चाहिए। गुस्से या जलन में किए गए काम की वजह से कई बार मनुष्य का बहुत बुरा हाल हो जाता है और उसे पूरे जीवन पछताना पड़ता है। इसलिए ऐसी कोई भूल नहीं करनी चाहिए, जिसकी वजह से उसकी दुर्गति हो या जीवनभर उसे परेशानियों का सामना करना पड़े।

जिस काम से नरक की प्राप्ति हो
पुराणों और ग्रंथों में ऐसे कई कर्म बताए गए हैं, जिन्हें करने या न करने से मनुष्य को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है। मनुष्य को किसी भी कारण से ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिसे अधर्म माना जाता हो। ऐसा करने पर उसे धरती पर ही नरक के समान दुखों का सामना करना पड़ता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा अपना मन पुण्य कर्मों में लगाए रखना चाहिए और पाप कर्मों से बचना चाहिए।