सार
श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। मान्यता है कि इनकी पूजा से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
उज्जैन. इस बार 8 अप्रैल, बुधवार को हनुमान जयंती है: हनुमानजी की पूजा में सिंदूर का काफी अधिक महत्व है। भगवान का पूरा श्रृंगार सिंदूर से किया जाता है। उज्जैन के श्रीराम कथाकार पं. मनीष शर्मा के अनुसार हनुमानजी को सिंदूर क्यों लगाया जाता है, इस संबंध में एक कथा बहुत प्रचलित है। जानिए ये कथा...
- प्रचलित कथा के अनुसार एक बार हनुमानजी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा। तब उन्होंने देवी सीता से पूछा कि वे मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?
- सीता ने हनुमानजी को बताया कि वे अपने स्वामी, पति श्रीराम की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं। शास्त्रों के अनुसार सुहागिन मांग में सिंदूर लगाती है तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है और वह हमेशा स्वस्थ रहता है।
- देवी सीता की बातें सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि थोड़ा-सा सिंदूर लगाने का इतना लाभ मिलता है तो वे पूरे शरीर पर सिंदूर लगाएंगे। इससे मेरे आराध्य श्रीराम हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे।
- यही सोचकर उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाना प्रारंभ कर दिया। तभी से हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
सिंदूर से होती है मूर्ति की सुरक्षा
हनुमानजी की मूर्ति पर सिंदूर लगाने से मूर्ति की सुरक्षा भी होती है। सिंदूर की मदद से मूर्ति की सुंदरता बढ़ती है, आकर्षण बढ़ता है, भगवान का स्वरूप अच्छी तरह दिखाई देता है। ऐसी मूर्ति की पूजा करने पर भक्त का मन पूजा लगा रहता है। बार-बार सिंदूर लगाने से मूर्ति का क्षरण नहीं होता है और मूल मूर्ति सुरक्षित रहती है।