सार

भर्तृहरि पुरातन समय में उज्जयिनी यानी वर्तमान उज्जैन के राजा थे। ग्रंथों के अनुसार, भर्तृहरि की पत्नी पिंगला ने उन्हें धोखा दिया था। इस वजह से उन्होंने राजपाठ छोड़ दिया और अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को राजा घोषित कर दिया। राजा भर्तृहरि ने नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक नाम के ग्रंथों की रचना की थी। नीति शतकम् में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं।

उज्जैन. भर्तृहरि पुरातन समय में उज्जयिनी यानी वर्तमान उज्जैन के राजा थे। ग्रंथों के अनुसार, भर्तृहरि की पत्नी पिंगला ने उन्हें धोखा दिया था। इस वजह से उन्होंने राजपाठ छोड़ दिया और अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को राजा घोषित कर दिया। राजा भर्तृहरि ने नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक नाम के ग्रंथों की रचना की थी। नीति शतकम् में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। जानिए नीति शतक की कुछ खास नीतियां, जिनका ध्यान रखने पर हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं।

नीति शतक के अनुसार…
अधिक मोह से संतान, अध्ययन न करने से ज्ञानी, नशे से शर्म, देखभाल न करने से खेती, आय से अधिक व्यय करने से धनी नष्ट हो जाते हैं

अधिक मोह से संतान
संतान को प्यार तो करना चाहिए, लेकिन गलती करने पर उसे सजा भी जरूर देना चाहिए। आव‌श्यकता से अधिक मोह करने से संतान गलत रास्ते पर जा सकती है और अपयश का कारण बन सकती है।

अध्ययन न करने से ज्ञान
जो व्यक्ति अपने को ज्ञानी समझने की भूल करता है, वो यह भूल जाता है कि ज्ञान का भंडार तो अथाह समुद्र के समान है, जिसका कोई पार नहीं है। इसलिए लगातार अध्ययन करते रहना जरूरी है, नहीं तो उसके ज्ञान का कोई मोल नहीं रह जाएगा।

नशे से शर्म
जो व्यक्ति लगातार नशा करता रहता है, उसे अपने अच्छे-बुरे का भान नहीं रहता। उसके मन से मान-सम्मान व शर्म की भावना निकल जाती है। ऐसी स्थिति में वह सामाजिक रूप से वो काम भी करने लगता है, जो उसे नहीं करना चाहिए।

देखभाल न करने से खेती
खेती एक ऐसा काम है, जिसमें लगातार मेहनत करने की जरूरत रहती है। जरा सी लापरवाही पूरी फसल नष्ट कर सकती है। फसल का पूरा फायदा तभी मिलता है, जब उसकी पूरी तरह से देखभाल की जाए। ऐसा न करने से फसल नष्ट हो जाती है।

आय से अधिक व्यय करने से धनी
हर व्यक्ति की आय सीमित होती है। व्यक्ति उसी के अनुसार अपने खर्च भी निर्धारित करता है। जो व्यक्ति अपनी कमाई से अधिक खर्च करता है, वह चाहे कितना भी धनवान क्यों न हो, एक दिन नष्ट हो जाता है।