सार

 जुए में अपना राज-पाठ हारने के बाद पांडव 12 साल तक वनवास में रहे और 1 साल उन्होंने अज्ञातवास में गुजारा

उज्जैन. जुए में अपना राज-पाठ हारने के बाद पांडव 12 साल तक वनवास में रहे और 1 साल उन्होंने अज्ञातवास में गुजारा। इस दौरान पांडव कई स्थानों पर रहे, इसका वर्णन महाभारत में मिलता है। पांडव जब वनवास के लिए हस्तिनापुर से निकले तो क्या-क्या हुआ और पहली रात उन्होंने कहां और कैसे गुजारी, जानिए-

 - जब पांडव वनवास जाने लगे, तो राजा धृतराष्ट्र ने विदुर से पूछा कि पांडव किस प्रकार वन में जा रहे हैं, उसका वर्णन सुनाओ। विदुर ने बताया कि- धर्मराज युधिष्ठिर अपनी आंखें बंद किए हुए हैं कि कहीं उनकी क्रोधपूर्ण आंखों के सामने पड़कर कौरव भस्म न हो जाएं।
- भीम अपनी बाहें फैलाकर दिखाते जा रहे हैं कि समय आने पर मैं अपने बाहुबल से कौरवों का नाश कर दूंगा।
- अर्जुन धूल उड़ाते चल रहे हैं, इसका संकेत है कि वे युद्ध के समय ऐेसी ही बाण वर्षा करेंगे।
- सहदेव ने अपने मुंह पर धूल मल रखी है, जिससे कि कोई उनका मुख न देख सके।
- नकुल ने तो अपने सारे शरीर पर ही धूल मल ली है। इसका अर्थ है कि मेरा सहज रूप देखकर कहीं स्त्रियां मोहित न हो जाएं।
- द्रौपदी एक ही वस्त्र पहने, केश खोलकर रोते हुए जा रही है। उन्होंने चलते समय कहा है कि जिनके कारण मेरी यह दुर्दशा हुई है, उनकी स्त्रियां भी आज से चौदहवें वर्ष के बाद अपने स्वजनों की मृत्यु से दु:खी होकर इसी प्रकार हस्तिनापुर में प्रवेश करेंगी।
- वनवास की पहली रात पांडवों ने गंगा तट पर प्रमाण नामक बहुत बड़े बरगद के पास बिताई। सुबह जब पांडव वन जाने लगे तो बहुत से ब्राह्मण भी उनके साथ जाने लगे।
- यह देखकर युधिष्ठिर को ब्राह्मणों के भरण-पोषण की चिंता सताने लगी। तब पुरोहित धौम्य ने युधिष्ठिर से कहा कि आप भगवान सूर्य की आराधना कीजिए।
- युधिष्ठिर ने विधि-विधान से भगवान सूर्य की पूजा की। भगवान सूर्य ने प्रकट होकर युधिष्ठिर को एक तांबे का बर्तन (अक्षय पात्र) दिया और कहा कि तुम्हारी रसोई में जो कुछ फल, मूल, शाक आदि चार प्रकार की भोजन सामग्री तैयार होगी वह तब तक खत्म नहीं होगी जब तक द्रौपदी परोसती रहेगी।