सार
कई बार आदमी क्रोध में ऐसा कुछ कर बैठता है कि बाद में उसके बाद पछताने के लिए कुछ नहीं बचता। ऐसी स्थिति में उसके साथ किसी प्रकार का वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से वो हमारा भी अहित कर सकता है। इस स्थिति में चुप रहना ही सबसे अच्छा विकल्प होता है।
उज्जैन. क्रोध शांत होने के बाद लोगों की अपनी गलती का अहसास होता है, लेकिन हमें भी उसकी बातों को भूलकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाना चाहिए। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि क्रोधी व्यक्ति से वाद-विवाद न करके उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ देना चाहिए।
जब एक क्रोधी व्यक्ति ने किया संत का अपमान
एक संत किसी गांव में उपदेश दे रहे थे। संत ने कहा कि “क्रोध ऐसी अग्नि है, जिसमें क्रोध करने वाला खुद भी जलता है और दूसरों को भी जलाता है।” उस समय प्रवचन सुन रहे लोगों में बहुत गुस्से वाला एक व्यक्ति भी बैठा हुआ था। उसे ये बातें पसंद नहीं आई। वह अचानक उठा और जोर से बोला “तुम पाखंडी हो। बड़ी-बड़ी बातें करना ही तुम्हारा काम है। तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो, तुम्हारी ये बातें आज कोई मायने नहीं रखती हैं।”
व्यक्ति लगातार संत को अपमानजनक बातें सुना रहा था। वहां बैठे सभी लोग ये देखकर हैरान थे कि संत ये सब शांति से सुन रहे थे, लेकिन कुछ बोल नहीं रहे थे। क्रोधी व्यक्ति संत को शांत देखकर और ज्यादा क्रोधित हो गया। वह संत के पास गया और मुठ्ठी में धूलकर उनके मुंह पर फेंक दी।
घर पहुंचकर क्रोधी व्यक्ति का मन शांत हुआ तो उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। वह संत से क्षमा मांगने पहुंचा, लेकिन उस गांव से संत पड़ोस के गांव के लिए निकल चुके थे। वह व्यक्ति संत को खोजते हुए दूसरे गांव में पहुंच गया। वहां व्यक्ति को जैसे ही संत दिखाई दिए, वह उनके चरणों में गिर गया और क्षमा मांगने लगा।
संत ने उस व्यक्ति से पूछा “तुम कौन हो और क्षमा क्यों मांग रहे हो?” उस व्यक्ति ने कहा “क्या आप भूल गए? मैंने कल आपके साथ बुरा व्यवहार किया था। आपका अपमान किया था।”
संत ने कहा “बीता हुआ कल मैं वहीं छोड़ आया हूं और तुम अभी भी वहीं रुके हुए हो। तुम्हें गलती पर पछतावा है, तुमने पश्चाताप कर लिया। अब तुम निष्पाप हो गए हो। बुरी बातें याद करते रहने से हमारा आज बर्बाद हो जाता है। इस आदत की वजह से भविष्य भी बिगड़ सकता है। इसीलिए बीते हुए कल की बातों को भूलाकर आगे बढ़ना चाहिए।
लाइफ मैनेजमेंट
अगर हमें अपने जीवन में आगे बढ़ना है यानी तरक्की करना है तो जो लोग हमें भला-बुरा कहते हैं उन पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना चाहिए। शांत स्वभाव रखते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। अगर हम लोगों की बातों पर ध्यान देंगे तो उन्हीं में उलझे रहेंगे और उनकी ही तरह बन जाएंगे।