सार
कुछ लोग दूसरों की छोटी-छोटी गलतियों पर उन पर बरस पड़ते हैं, भला-बुरा कहते हैं या कई बार विवाद भी कर लेते हैं। जबकि देखा जाए तो उन बातों को आसानी से भूला भी जा सकता है और हंसकर टाला भी जा सकता है।
उज्जैन. लोग अक्सर दूसरों की गलतियां माफ नहीं करते और हर बात का बदला देने पर उतारू हो जाते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि दूसरे की गलती का दंड हम भुगत रहे होते हैं। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कई बार दूसरों की गलतियों को नजरअंदाज आगे निकल जाने में ही भलाई है।
जब कार वाले से हो जाता एक्सीडेंट
एक दिन एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था एक कार अचानक ही पार्किंग से निकलकर रोड पर आ गयी। ऑटो चालक ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार, ऑटो से टकराते टकराते बची।
कार चालक गुस्से में ऑटो वाले को ही भला-बुरा कहने लगा जबकि गलती कार चालक की थी। ऑटो चालक ने कार वाले की बातों पर गुस्सा नहीं किया और क्षमा माँगते हुए आगे बढ़ गया। ऑटो में बैठे व्यक्ति को कार वाले की हरकत पर गुस्सा आ रहा था।
उसने ऑटो वाले से पूछा, “तुमने उस कार वाले को बिना कुछ कहे ऐसे ही क्यों जाने दिया?उसने तुम्हें भला-बुरा कहा जबकि गलती तो उसकी थी। हमारी किस्मत अच्छी है, नहीं तो उसकी वजह से हम अभी अस्पताल में होते।”
ऑटो वाले ने कहा, “साहब बहुत से लोग कूड़े के ट्रक की तरह होते हैं। वे बहुत सारा कूड़ा अपने दिमाग में भरकर चलते हैं। जिन चीजों की जीवन में कोई ज़रूरत नहीं होती उनको मेहनत करके जोड़ते रहते हैं, जैसे क्रोध, घृणा, चिंता, निराशा आदि।”
“जब उनके दिमाग में इनका कूड़ा बहुत अधिक हो जाता है तो वे अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका ढूंढने लगते हैं। इसलिए मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूं और उन्हें दूर से ही मुस्कराकर अलविदा कह देता हूं।”
“अगर उन जैसे लोगों द्वारा गिराया हुआ कूड़ा मैंने स्वीकार कर लिया तो मैं भी एक कूड़े का ट्रक बन जाउंगा और अपने साथ साथ आसपास के लोगों पर भी वह कूड़ा गिराता रहूंगा। मैं सोचता हूं जिंदगी बहुत ख़ूबसूरत है इसलिए जो हमसे अच्छा व्यवहार करते हैं उन्हें धन्यवाद कहो और जो हमसे अच्छा व्यवहार नहीं करते उन्हें मुस्कुराकर माफ़ कर दो।”
लाइफ मैनेजमेंट
दूसरों की गलती पर उसे भला-बुरा कहना या विवाद करना ही हमेशा सही नहीं होता। छोटी-मोटी बातों को हंसकर भुलाया भी जा सकता है। अगर हम दूसरों की गलतियों पर गुस्सा करेंगे तो ये स्वयं को सजा देने वाली स्थिति हो जाएगी।
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