सार
श्रीगणेश भगवान शिव व पार्वती के पुत्र हैं, ये बात हम सभी जानते हैं, लेकिन श्रीगणेश के संपूर्ण परिवार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
उज्जैन. श्रीगणेश सहित उनके परिवार में 8 सदस्य हैं। आज हम आपको श्रीगणेश के पूरे परिवार के बारे में बता रहे हैं।
पिता
गणपति के पिता स्वयं भगवान शिव हैं। शिव को सृष्टि का प्राण माना जाता है। अगर शिव नहीं हों तो सृष्टि शव समान हो जाती है। इस कारण शिव को कालों का काल यानी महाकाल कहा गया है। शिव प्राण देते हैं, जीवन देते हैं और संहार भी करते हैं। शिव का पूजन समस्त सुख देने वाला माना गया है।
माता
श्रीगणेश की माता जगदम्बा पार्वती हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, ये पर्वतराज हिमालय व मैना की पुत्री हैं। पार्वती को ही शक्ति माना गया है। शरीर में शक्ति ना हो तो शरीर बेकार है। शक्ति तेज का पुंज है। मानव को हर काम में सफलता की शक्ति पार्वती यानी दुर्गा देती हैं। भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर स्वरूप में स्वयं शक्ति के महत्व को प्रतिपादित किया है।
भाई
भगवान गणेश के भाई है कार्तिकेय। कार्तिकेय के पास देवताओं के सेनापति का पद है। वे साहस के अवतार हैं। कम आयु में ही अपने अदम्य साहस के बल पर उन्होंने तारकासुर का नाश किया था। इसलिए आत्मविश्वास और आत्मबल की प्राप्ति कार्तिकेय से होती है। शिवपुराण के अनुसार, कार्तिकेय ब्रह्मचारी हैं, वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण में इनकी पत्नी का नाम देवसेना बताया गया है।
पत्नी
भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं सिद्धि और बुद्धि। शिवपुराण के अनुसार, ये प्रजापति विश्वरूप की पुत्रियां हैं। कुछ स्थानों पर रिद्धि और सिद्धि का नाम मिलता है, लेकिन अधिकांश ग्रंथों नें सिद्धि और बुद्धि को ही गणपति की पत्नी माना गया है। सिद्धि कार्यों में, मनोरथों में सफलता देती है। बुद्धि ज्ञान के मार्ग को प्रशस्त करती हैं।
पुत्र
भगवान गणेश के दो पुत्र हैं क्षेम और लाभ। क्षेम हमारे अर्जित पुण्य, धन, ज्ञान और ख्याति को सुरक्षित रखते हैं। सीधा अर्थ है हमारे पुरुषार्थ से कमाई गई हर वस्तु को सुरक्षित रखते हैं, उसे क्षय नहीं होने देते और धीरे-धीरे उसे बढ़ाते हैं। लाभ का काम निरंतर उसमें वृद्धि देने का है। लाभ हमें धन, यश आदि में निरंतर बढ़ोत्तरी देता है।