सार

हंसना मनुष्य होने की निशानी है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों का मजाक उड़ा कर हंसते हैं। ये बात ठीक नहीं है। हमें सामाजिक दायरों में रहते हुए ही किसी के साथ हंसी-मजाक करना चाहिए।
उज्जैन. हंसना मनुष्य होने की निशानी है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों का मजाक उड़ा कर हंसते हैं। ये बात ठीक नहीं है। हमें सामाजिक दायरों में रहते हुए ही किसी के साथ हंसी-मजाक करना चाहिए। जिस मजाक से किसी का अपमान हो या उसे दुख पहुंचे, ऐसा काम भूल कर भी नहीं करना चाहिए। मनु स्मृति में बताया गया है कि हमें किन लोगों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।  

श्लोक
हीनांगनतिरिक्तांगन्विद्याहीनान्वयोधिकान्।
रूपद्रव्यविहीनांश्च जातिहीनांश्च नाक्षिपेत्।

अर्थ: इन लोगों पर व्यंग्य (मजाक) नहीं करना चाहिए, 1. जो हीन अंग वाले हों (जैसे- अंधा, काना, लूला-लंगड़ा आदि), 2.अधिक अंग वाले हों (जैसे पांच से अधिक अंगुलियों वाले), 3. अशिक्षित, 4. आयु में बड़े, 5. कुरूप, 6. गरीब या 7. छोटी जाति के हों।

1. हीन (कम) अंग वाले
हीन अंग वाले लोग यानी जिनके शरीर का कोई न कोई हिस्सा या तो है ही नहीं या अधूरा है जैसा- लूला, लंगड़ा, काना आदि। कुछ लोग तो जन्म से ही हीन अंग वाले होते हैं, वहीं कुछ लोग दुर्घटना में अंगहीन हो जाते हैं। मनु स्मृति के अनुसार, ऐसे लोगों का कभी भी मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, क्योंकि कम अंग होने के कारण वे पहले से ही सहानुभूति के पात्र होते हैं।

2. अधिक अंग वाले
कुछ लोगों के शरीर में अधिक अंग होते हैं जैसे किसी के हाथ या पैर में 6 उंगलियां होती हैं। मनु स्मृति के अनुसार, शरीर में अधिक अंग होने पर भी किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, क्योंकि वह तो जन्मजात ही ऐसा है। भगवान ने उसे इसी रूप में धरती पर भेजा है। यदि हम ऐसे लोगों का मजाक उड़ाते हैं तो समझना चाहिए कि हम परम पिता परमेश्वर का मजाक उड़ा रहे हैं।

3. अशिक्षित
यदि कोई व्यक्ति अनपढ़ यानी अशिक्षित है और वह किसी मुश्किल में है तो हमें उसकी मदद करना चाहिए न कि मजाक उड़ाना चाहिए। उस व्यक्ति के अशिक्षित होने के पीछे पारिवारिक या सामाजिक कारण हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति का मजाक उड़ा कर हम उसे दुख ही पहुंचाते हैं जबकि यह हमारा नैतिक दायित्व है कि भूल कर भी हमारी वजह से कोई दुखी न हो।

4. आयु में बड़े
जो भी व्यक्ति हमसे उम्र में बड़ा है, वह आदर-सम्मान करने योग्य है। बचपन से हमें यही सिखाया जाता है। उम्र अधिक होने के कारण कई बार बुजुर्ग ऐसे काम कर बैठते हैं, जिसके कारण उनका मजाक उड़ाया जाता है, जो कि ठीक नहीं है। कई बार बुजुर्ग घर में ही ऐसी घटनाओं का शिकार होते हैं। अगर भूल कर कभी किसी बुजुर्ग से ऐसा काम हो भी जाए तो हमें मजाक न उड़ाते हुए उनके साथ सहानुभूति रखनी चाहिए और उनकी मुश्किल समझने की कोशिश करनी चाहिए।

5. कुरूप
हर इंसान का चेहरा, रंग-रूप व शारीरिक बनावट एक-दूसरे से अलग होती है। किसी का चेहरा गोरा होता है तो किसी का काला। कुछ लोग सुंदर होते हैं तो कुछ के चेहरा इसके विपरीत होता है। हमें व्यक्ति के रंग-रूप को ध्यान में न रखते हुए उसके चरित्र के गुणों को देखना चाहिए। हो सकता है कि जो व्यक्ति सुंदर नहीं है, वह चरित्रवान हो। चरित्र की सुंदरता ही मूल सुंदरता है शरीर की नहीं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमें किसी व्यक्ति के रंग-रूप के कारण उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।

6. गरीब
कोई भी इंसान अपनी मर्जी से गरीब नहीं होता। कुछ लोग जन्म से ही अमीर होते हैं, वहीं कुछ अपनी मेहनत से पैसा कमाते हैं। गरीब इंसान मेहनत-मजदूरी करता है और अपने परिवार को पालता है। वह किसी से मदद की उम्मीद भी नहीं करता और अपने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन जीता है। इसलिए मनु स्मृति के अनुसार, कभी भी किसी गरीब इंसान का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।

7. छोटी जाति के लोग
जाति आधारित व्यवस्था भगवान ने नहीं बल्कि इंसानों ने ही बनाई है। भगवान के लिए तो सभी इंसान एक समान हैं। जब हवा, पानी, धरती और आग इंसानों में भेदभाव नहीं करती तो हमें भी जाति के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और न ही किसी का मजाक उड़ाना चाहिए।