सार
माघ मास की अमावस्या मौनी अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है, जो इस वर्ष शुक्रवार 24 जनवरी को है।
उज्जैन. शुक्रवार को अमावस्या की युति सुभिक्ष तथा प्रजा के लिए सुखकारक होती है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।
अमावस्या कब से कब तक?
काशी के ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र के अनुसार, अमावस्या का आरंभ 23 जनवरी की रात लगभग 1.40 से होगा, जो 24 जनवरी की रात लगभग 2.06 तक रहेगी। इस तरह 24 जनवरी को पूरे दिन अमावस्या का पुण्य काल रहेगा।
क्या करें मौनी अमावस्या पर?
- मौनी अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आँवला, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
- इस दिन साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों के सेवन के लिए अग्नि प्रज्वलित करना चाहिए तथा उन्हे कम्बल आदि वस्त्र देने चाहिए-
तैलमामलकाश्चैव तीर्थे देयास्तु नित्यशः।
ततः प्रज्वालयेद्वह्निं सेवनार्थे द्विजन्मनाम्।।
कम्बलाजिनरत्नानि वासांसि विविधानि च।
चोलकानि च देयानि प्रच्छादनपटास्तथा।।
- मौनी अमावस्या पर गुड़ में काला तिल मिलाकर लड्डू बनाना चाहिए तथा उसे लाल वस्त्र में बाँधकर दान देना चाहिए।
- स्नान-दान के अलावा इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करने का भी विशेष महत्व है।