सार
वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता माने जाते हैं।
उज्जैन. पौराणिक मान्यता एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नृसिंह रूप में अवतार लेकर राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप को मारा था। इस कारण ये दिन भगवान नृसिंह की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 25 मई, मंगलवार को है।
इस विधि से करें व्रत और पूजा
- नृसिंह चतुर्दशी की सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद व्रत के लिए संकल्प लें। इसके बाद दोपहर में नदी, तालाब या घर पर ही वैदिक मंत्रों के साथ मिट्टी, गोबर, आंवले का फल और तिल लेकर उनसे सब पापों की शांति के लिए विधिपूर्वक स्नान करें।
- इसके बाद साफ कपड़े पहनकर संध्या तर्पण करें। अब पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीप कर उस पर अष्ट दल (आठ पंखुड़ियों वाला) कमल बनाएं।
- कमल के ऊपर पंचरत्न सहित तांबे का कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर चावलों से भरा हुआ बर्तन रखें और बर्तन में अपनी इच्छा के अनुसार सोने की लक्ष्मी सहित भगवान नृसिंह की प्रतिमा रखें।
- इसके बाद दोनों मूर्तियों को पंचामृत से स्नान करवाएं। योग्य विद्वान ब्राह्मण (आचार्य) को बुलाकर उनके हाथों फूल व षोडशोपचार सामग्रियों से विधिपूर्वक भगवान नृसिंह का पूजन करवाएं।
- भगवान नृसिंह को चंदन, कपूर, रोली व तुलसीदल भेंट करें तथा धूपदीप दिखाएं। इसके बाद घंटी बजाकर आरती उतारें और नीचे लिखे मंत्र के साथ भोग लगाएं-
नैवेद्यं शर्करां चापि भक्ष्यभोज्यसमन्वितम्।
ददामि ते रमाकांत सर्वपापक्षयं कुरु।।
(पद्मपुराण, उत्तरखंड 170/62)
- अब भगवान नृसिंह से सुख की कामना करें। रात में जागरण करें तथा भगवान नृसिंह की कथा सुनें। दूसरे दिन यानी पूर्णिमा पर स्नान करने के बाद फिर से भगवान नृसिंह की पूजा करें।
- ब्राह्मणों को दान दें उन्हें भोजन करवाएं व दक्षिणा भी दें। इसके बाद पुन: भगवान नृसिंह से मोक्ष की प्रार्थना करें। अंत में आचार्य (पूजन करने वाला ब्राह्मण) को दक्षिणा से संतुष्ट करके विदा करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें।
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो इस प्रकार नृसिंह चतुर्दशी के पर्व पर भगवान नृसिंह की पूजा करता है, उसके मन की हर कामना पूरी हो जाती है। उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
नृसिंह चतुर्दशी का महत्व
वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर विष्णुजी के चौथे अवतार के रूप में भगवान नृसिंह पूजा की जाती है साथ ही इस दिन व्रत और उपवास भी किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले को भगवान की पूजा के साथ ही श्रद्धा के हिसाब से अन्न, जल, तिल, कपड़े या लोगों की जरूरत के हिसाब से चीजों का दान देना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले के हर तरह के दुख खत्म हो जाते हैं। दुश्मनों पर जीत मिलती है और मनोकामना भी पूरी होती है।