सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) शुक्रवार को उत्तराखंड स्थित केदारनाथ और बद्रीनाथ पहुंचें। ये दोनों ही जगह हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष मानी गई हैं। बद्रीनाथ (Badrinath) जहां चार धामों में से एक है, वहीं केदारनाथ (Kedarnath) 12 ज्योतिर्लिंगों में से।
 

उज्जैन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) शुक्रवार को धार्मिक यात्रा पर पहले केदारनाथ (Kedarnath)  पहुचें और इसके बाद उन्होंने बद्रीनाथ (Badrinath)के दर्शन भी किए। इस दौरान उन्होंने वहां चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा भी की। इसके अलावा उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य की समाधी पर भी माथा टेका। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी इसके पहले भी कई बार केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शनों के लिए आ चुके हैं। केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है वहीं बद्रीनाथ 4 धामों में से एक। ये दोनों ही तीर्थ स्थान उत्तराखंड में स्थित है। आगे जानिए इन दोनों तीर्थ स्थानों से जुड़ी खास बातें…

12 ज्योतिर्लिगों में चौथा है केदारनाथ (Know special things about Kedarnath)
शिवपुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है, इनमें से केदारनाथ चौथा है। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी। युद्ध के बाद पांडव अपने परिवार की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए वे केदार क्षेत्र में शिवजी के दर्शन करने आए, लेकिन महादेव बैल का रूप धारण कर पशुओं के झुंड में शामिल हो गए। भीम ने शिवजी को पहचान लिया और उन्हें पकड़ने के दौड़े, लेकिन सिर्फ पीठ का हिस्सा ही पकड़ सके। तब पांडवों ने इसी स्थान पर उनकी घोर तपस्या की। प्रसन्न होकर शिव ने आकाशवाणी के माध्यम से कहा कि ‘तुम मेरे उसी पृष्ठ (पीठ) भाग की शिला रूप में स्थापना करके, पूजा करो। तभी से उसी पृष्ठभाग की शिला को आज केदारनाथ के रूप में पूजा जाता है।

यहां है कड़ा चढ़ाने की परंपरा
केदार नाथ मंदिर के गर्भगृह में पांचों पांडवों की मूर्तियां हैं और मंदिर के बाहर शिव-पार्वती व अन्य देवी-देवताओं के चित्र हैं। यहां भगवान को कड़ा चढ़ाने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी दुखों का नाश हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ठंड के मौसम में केदारनाथ मंदिर बंद रहता है। इस दौरान भगवान केदारनाथ उखीमठ में रहते हैं।

चार धामों में से एक है बद्रीनाथ (Know special things about Badrinath)
बद्रीनाथ हिंदुओं के प्रमुख 4 धामों में से एक है। ये मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे नीलकंठ पर्वत पर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार, आदि गुरु शंकराचार्य ने इस धाम की स्थापना की थी। कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान विष्णु ने कठोर तप किया था। इस दौरान देवी लक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णु जी को छाया दी थी। प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इस स्थान को बद्रीनाथ के नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था। ये मंदिर भी ठंड के दिनों में बंद रहता है, सिर्फ गर्मियों में ही यहां दर्शन होते हैं। मंदिर में भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची प्रतिमा है, जो ये ध्यान मुद्रा में है।

पांच स्वरूपों में होती है भगवान विष्णु की पूजा
मंदिर परिसर में कुबेर देव, लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। मंदिर में विष्णु जी के पांच स्वरूपों की पूजा की जाती है, इन्हें पंचबद्री कहते हैं। बद्रीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार स्वरूप भी मंदिर में ही हैं- श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्घ बद्री, श्री आदि बद्री। 



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