सार

इस बार 24 जनवरी, रविवार को पौष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी है। इसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस तिथि पर पानी में तिल मिलाकर नहाने और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की परंपरा है।

उज्जैन. पुत्रदा एकादशी रविवार को होने से इस दिन सूर्य देव की भी पूजा खासतौर से करनी चाहिए। इस दिन व्रत और पूजा करने से संतान की इच्छा रखने वाले लोगों की मनोकामना पूरी होती है।

पौष महीने में भगवान विष्णु और सूर्य पूजा का महत्व

- हिंदू कैलेंडर के पौष महीने के देवता भगवान विष्णु और सूर्य हैं। इस महीने में भगवान सूर्य की भग रूप में दिवाकर नाम से पूजा करनी चाहिए। इससे सेहत अच्छी रहती है और उम्र भी बढ़ती है। 
- खगोलीय नजरिये से देखा जाए तो इस महीने में सूर्य की रोशनी धरती के उत्तरी गोलार्द्ध पर ज्यादा देर तक रहती है। इसलिए इन दिनों सूर्य पूजा का बहुत महत्व है।
- पौष महीने में भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा का विधान ग्रंथों में बताया गया है। भगवान राम और श्रीकृष्ण भी नारायण रूप के अवतार थे। इसलिए पुत्रदा एकादशी का व्रत खास माना जाता है।

इस विधि से करें पुत्रदा एकादशी का व्रत व पूजन

- पुत्रदा एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी साफ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद शंख में जल लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं। चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें। इसके बाद दीपक जलाएं।
- पीले वस्त्र अर्पित करें। मौसमी फलों के साथ आंवला, लौंग, नींबू, सुपारी भी चढ़ाएं। इसके बाद गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं।
- दिन भर कुछ खाएं नहीं। संभव न हो तो एक समय भोजन कर सकते हैं। रात को मूर्ति के पास ही जागरण करें। भगवान के भजन गाएं।
- अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद ही उपवास खोलें। इस तरह व्रत और पूजा करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।