सार

धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी का पर्व मनाया जाता है। त्रेता युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।

इस बार ये पर्व 2 अप्रैल, गुरुवार को है। इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा से जीवन का हर सुख मिल सकता है। जानिए श्रीराम नवमी पर कैसे करें पूजा और शुभ मुहूर्त-

इस विधि से करें भगवान श्रीराम की पूजा
- नवमी तिथि की सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के उत्तर भाग में एक सुंदर मंडप बनाएं। उसके बीच में एक वेदी बनाएं। उसके ऊपर भगवान श्रीराम व माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।

- श्रीराम व माता सीता की पंचोपचार (गंध, चावल, फूल, धूप, दीप) से पूजन करें। इसके बाद इस मंत्र बोलें-
मंगलार्थ महीपाल नीराजनमिदं हरे।
संगृहाण जगन्नाथ रामचंद्र नमोस्तु ते।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।

- इसके बाद किसी पात्र (बर्तन) में कपूर तथा घी की बत्ती (एक या पांच अथवा ग्यारह) जलाकर भगवान श्रीसीताराम की आरती करें-

आरती कीजै श्रीरघुबर की, सत चित आनंद शिव सुंदर की।।
दशरथ-तनय कौसिला-नंदन, सुर-मुनि-रक्षक दैत्य निकंदन,
अनुगत-भक्त भक्त-उर-चंदन, मर्यादा-पुरुषोत्तम वरकी।।
निर्गुन सगुन, अरूप, रूपनिधि, सकल लोक-वंदित विभिन्न विधि,
हरण शोक-भय, दायक सब सिधि, मायारहित दिव्य नर-वरकी।।
जानकिपति सुराधिपति जगपति, अखिल लोक पालक त्रिलोक-गति,
विश्ववंद्य अनवद्य अमित-मति, एकमात्र गति सचारचर की।।
शरणागत-वत्सलव्रतधारी, भक्त कल्पतरु-वर असुरारी,
नाम लेत जग पवनकारी, वानर-सखा दीन-दुख-हरकी।।

आरती के बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
नमो देवाधिदेवाय रघुनाथाय शार्गिणे।
चिन्मयानन्तरूपाय सीताया: पतये नम:।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय पुष्पांजलि समर्पयामि।

-इसके बाद फूल भगवान को चढ़ा दें और यह श्लोक बोलते हुए प्रदक्षिणा करें-
यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यादिकानि च।
तानि तानि प्रणशयन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

-इसके बाद भगवान श्रीराम को प्रणाम करें और कल्याण की प्रार्थना करें। इस प्रकार भगवान श्रीराम का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

पूजा के शुभ मुहूर्त
सुबह 11:10 से दोपहर 01:40 तक
शाम 5:10 से 6:30 तक