सार

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2021) का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 11 सितंबर, शनिवार को है। ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से सप्तऋषियों को समर्पित है। धार्मिक कथाओं के अनुसार ये सात ऋषि हैं, वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज। 

उज्जैन. धर्म शास्त्रों के अनुसार, स्त्रियों से रजस्वला अवस्था के दौरान अनजाने में जो पाप हो जाते हैं, उन्हें दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है। 

ये है व्रत विधि
- इस दिन व्रती (व्रत करने वाली महिला) सुबह से दोपहर तक उपवास करके किसी नदी या तालाब पर जाएं। वहां अपामार्ग (आंधीझाड़ा) से दांत साफ करें और शरीर पर मिट्टी लगाकर स्नान करें।
- इसके बाद पंचगव्य (गाय का गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी) का सेवन करें। इसके बाद घर आकर गोबर से पूजा का स्थान लीपें उसके ऊपर मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करके उसे कपड़े से ढंककर उसके ऊपर तांबे अथवा मिट्टी के बर्तन में जौ भरकर रखें।
- पंचरत्न, फूल, गंध और चावल आदि से पूजन करें। यह संकल्प लें- अमुक गोत्रा (अपना गोत्र बोलें) अमुक देवी (अपना नाम लें) अहं मम आत्मनो रजस्वलावस्थायां गृहभाण्डादिस्पर्शदोषपरिहारार्थं अरुन्धतीसहितसप्तर्षिपूजनं करिष्ये।
- पूजन के बाद कलश आदि पूजन सामग्री को ब्राह्मण को दान कर दें व ब्राह्मण को भोजन कराकर ही स्वयं भोजन करें।
- कलश के पास ही अष्टदल कमल बनाकर उसके दलों में अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, वशिष्ठ आदि ऋषियों व अरुंधती का पूजन करना चाहिए।
- इस व्रत में नमक का प्रयोग वर्जित है। हल से जुते हुए खेत का अन्न खाना वर्जित है। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए।
- ऋषि पंचमी पूजा मंत्र
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।  

व्रत कथा 
- उत्तरा नाम का एक ब्राह्मण था जो सुशीला नाम की अपनी पत्नी के साथ रहता था। उनकी बेटी विधवा हो गयी थी। इस कारण वह भी उनके साथ ही रहती थी। 
- एक रात को बेटी के सम्पूर्ण शरीर को चींटियां लग गईं। माता-पिता चिंता मे डूब गए। उन्होंने एक ऋषि को इस बारे में बताया। 
- तब ऋषि ने बताया कि उनकी बेटी ने पूर्व जन्म में रजस्वला काल में पाप किया था, जिसका दंड उसे अब उसके शरीर पर चीटियां लग कर मिल रहा है। 
- ऋषि ने पापों की मुक्ति के लिए उस ब्राह्मण कन्या को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2021) का व्रत करने की सलाह दी। 
- ब्राह्मण कन्या के व्रत करने से उसके सारे कष्ट दूर हो गए और उसे सभी पापों से मुक्ति मिल गयी।