सार
पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 मई, सोमवार को है। ऐसी मान्यता है कि इसी तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ। इसलिए इस दिन शनिदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
उज्जैन. शनिदेव से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। उन्हीं में से एक मान्यता ये भी है कि इस शनिवार को यदि जूते-चप्पल चोरी हो जाएं तो इसे शुभ शकुन मानना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने से बुरे दिन टल जाते हैं और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। हालांकि इस मान्यता के पीछे कोई तर्क या धार्मिक कारण नहीं है लेकिन फिर भी ये मान्यता आम लोगों में काफी प्रचलित है। आज शनि जयंती के मौके पर जानिए क्या है इस मान्यता के पीछे के मनोवैज्ञानिक तथ्य…
शुभ संकेत है जूतों का चोरी होना
- उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर और कठोर ग्रह माना गया है। शनि जब किसी के विपरित होता है तो उस व्यक्ति को अत्यधिक मेहनत के बाद भी थोड़ा ही फल मिलता है।
- ज्योतिषियों के अनुसार, हमारे शरीर के अंग भी ग्रहों से प्रभावित होते हैं। उसी के अनुसार, त्वचा यानी चमड़ी और पैर में शनि का वास माना जाता है। यही कारण है कि पैरों से संबंधित चीजें जैसे जूते-चप्पल शनि के लिए दान की जाती हैं।
- मान्यता है कि शनिवार को शनि से संबंधित चीजों का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अगर शनिवार को जूते-चप्पल चोरी हो जाएं तो इसे शुभ संकेत मानना चाहिए। ऐसा समझना चाहिए कि जूते-चप्पल के साथ आपकी परेशानी भी चली गई है।
- इसके पीछे का तर्क ये है कि चमड़ा और पैर दोनों ही शनि से प्रभावित होते हैं। जब शनि से संबंधित कोई चीज चोरी होती है तो वो अपने साथ हमारी परेशानी भी ले जाती है। यही कारण है कि लोग एक-दूसरे की चप्पल या जूते भूल से भी नहीं पहनते हैं।
- कुछ लोग तो शनिवार को जान-बूझकर भी शनि मंदिर के बाहर अपने जूते-चप्पल छोड़कर आते हैं ताकि शनिदेव उनके कष्ट कम कर दें। लेकिन कुछ लोग अनजाने में दूसरों के जूते-चप्पल चोरी कर लेते हैं और स्वयं उसका उपयोग करने लगते हैं। इसके कारण उनकी परेशानियां बढ़ जाती हैं।
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