सार
24 जून, गुरुवार को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है, तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन किए गए दान और उपवास से अक्षय फल मिलता है।
उज्जैन. 24 जून, गुरुवार को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। इस तिथि को स्कंदपुराण और भविष्यपुराण में पर्व कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है, तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन किए गए दान और उपवास से अक्षय फल मिलता है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण यानी अपनी 16 कलाओं वाला होता है, इसलिए इस दिन किए गए शुभ कामों का पूरा फल मिलता है।
ये हैं इस तिथि से जुड़ी खास बातें…
- इस बार पूर्णिमा तिथि पर गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है। इस शुभ संयोग में किए गए कामों से सुख, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
- इस शुभ संयोग में किए गए स्नान-दान का कई गुना फल भी मिलते हैं। इससे पहले जनवरी में गुरुवार को पूर्णिमा का योग बना था।
- भारतीय संस्कृति में ज्येष्ठ पूर्णिमा का बहुत ही महत्त्व है। इस दिन गंगा स्नान कर भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।
- ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर पितरों की विशेष पूजा और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। इससे पितृ तृप्त होते हैं।
- इस पर्व पर सूर्य और चन्द्रमा के बीच 169 से 180 डिग्री का अंतर होता है। जिससे ये ग्रह आमने-सामने होते हैं और इनके बीच समसप्तक योग बनता है।
- पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण रहता है। इसलिए इस दिन औषधियों का सेवन करने से उम्र बढ़ती है। इस योग में किए गए कामों में सफलता मिलती है।
- पूर्णिमा के स्वामी खुद चन्द्रमा हैं। गुरुवार और पूर्णिमा तिथि से बनने वाले शुभ संयोग में किए गए कामों से सुख, समृद्धि और सौभाग्य मिलता है।