सार
17 अगस्त, सोमवार को सिंह संक्रांति है। इस दिन सूर्य कर्क से सिंह राशि में प्रवेश करेगा। हिन्दी पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं। सूर्य जब राशि बदलता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है।
नदी में स्नान न कर पाएं तो अपने घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर पवित्र नदियों और तीर्थों का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के बराबर पुण्य मिल सकता है। स्नान के बाद घर के आसपास ही जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।
पंचदेवों में से एक हैं सूर्यदेव
सूर्य को पंच देवों में से एक माना गया है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत में गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्य की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है। संक्रांति पर सूर्यदेव के दर्शन करते हुए तांबे के लोटे से अर्घ्य देना चाहिए। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। अभी बारिश की वजह से सूर्य के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं तो सूर्य प्रतिमा या सूर्य यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
ऐसे कर सकते हैं सूर्य की पूजा
सूर्य प्रतिमा पर गंगाजल और गाय का दूध चढ़ाएं। मूर्ति का विधिपूर्वक पूजन करें। पूजा में पुष्प, चावल, कुमकुम सहित अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। पूजा में जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
सूर्य मंत्र- ऊँ सूर्याय नम: का जाप करते रहें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। जरूरतमंद लोगों को कंबल, वस्त्र, घी, गेहूं, दाल-चावल आदि का दान करें। गरीबों को भोजन कराएं तो और भी ज्यादा शुभ रहता है।