सार

इस समय पूरी दुनिया सहित हमारा देश भी कोरोना संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित है। कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।

उज्जैन. ऐसे समय में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल की रात 9 बजे 9 मिनिट तक दीपक व मोमबत्ती आदि जलाने का आग्रह देशवासियों से किया है। दीपक जलाने की परंपरा हमारे देश में सदियों पुरानी है। इस परंपरा के पीछे न सिर्फ धार्मिक बल्कि मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक पक्ष भी छिपा है, जो इस प्रकार है-

ये है मनोवैज्ञानिक पक्ष
दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। अगर मन में किसी प्रकार की शंका-कुशंका हो तो पॉजिटिव एनर्जी से वह दूर होती हैं और उम्मीद की रोशनी जगमगा उठती है। ऐसे समय में जब देश एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है, घर के बाहर या बॉलकनी में दीपक जलाने से हमारे आस-पास और मन में सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनेगा, जो इस समय होना बहुत जरूरी है।  

ये है वैज्ञानिक पक्ष
दीपक जलाने से हमारे आस-पास के बैक्टीरिया-वायरस नष्ट हो जाते है। इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं। रात में जब सूर्य का प्रकाश नहीं होता, बैक्टीरिया-वायरस जैसे सुक्ष्म जीव अधिक संक्रमण फैला सकते हैं। इसलिए इन सुक्ष्म जीवों को नष्ट करने के लिए रात में दीपक जलाने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सही है।

यै है धार्मिक पक्ष
पूजा करते समय दीपक जरूर जलाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं। दीपक जलाते समय ये मंत्र बोला जाता है-
शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्,
शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।।

इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है। यही इस परंपरा का धार्मिक पक्ष भी है।