सार

इस बार जन्माष्टमी को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद हैं, जिसके चलते 2 दिन ये पर्व मनाया जाएगा। शैव मत वाले 23 अगस्त को जबकि वैष्णव संप्रदाय वाले 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।

उज्जैन. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार, इस बार 23 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र ध्रुव योग की साक्षी में जन्माष्टमी का व्रत व त्योहार रहेगा। उच्च राशि के चंद्रमा की साक्षी अर्थात चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा। शुक्रवार को अष्टमी तिथि सुबह 8.10 बजे पर लगेगी, जो अगले दिन सुबह 8.11 तक रहेगी। 
शास्त्रीय गणना के आधार पर जन्माष्टमी का पर्व मध्य रात्रि का माना गया है। इस दृष्टि से रात्रि व्यापानी अष्टमी तिथि शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात रहेगी। यानी शुक्रवार की मध्य रात्रि 12 बजे तक अष्टमी रहेगी। इसलिए जन्माष्टमी शुक्रवार को ही मनेगी। यह शैव मत की मान्यता है।
मुहूर्त शास्त्रीय मत में नक्षत्र व तिथि की भी अलग-अलग मान्यता है। इस दृष्टिकोण से उदियात तिथि वाले तथा रोहिणी नक्षत्र को साक्षी मानने वाले 24 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्वकाल मानेंगे। 24 अगस्त को अष्टमी तिथि सुबह 8.11 बजे तक है। रोहिणी नक्षत्र भी सुबह 4.12 बजे लग जाएगा। ऐसी स्थिति में वैष्णवजन 24 अगस्त को अष्टमी का पर्वकाल मानेंगे। इस दिन रोहिणी का होना अमृतसिद्धि योग भी बनाएगा। 

23 अगस्त को जन्माष्टी पर्व श्रेष्ठ
पं. डिब्बावाला के अनुसार, यदि अष्टमी तिथि पहले दिन से लेकर रात्रि पर्यन्त अपनी पूर्ण स्थिति में हो तो यह तिथि जन्माष्टमी के लिए उचित है। पुरुषार्थ चिंतामणि के अनुसार शुद्ध पक्षकाल की अष्टमी पूर्ण रूप से व्रत करने योग्य है, इसलिए 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है।
उज्जैन की ज्योतिषाचार्य अर्चना सरमंडल के अनुसार, पुराणों में कहा गया है कि रात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि होनी चाहिए। श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र अर्द्धरात्रि अष्टमी को हुआ था। 23 अगस्त की रात को अष्टमी तिथि रहेगी, इसलिए इसी दिन जन्माष्टमी पर्व मनाया जाना चाहिए।